Ashok Stambh History/ Ashok Stambh/ अशोक स्तंभ का इतिहास / संसद भवन की नई इमारत पर राष्ट्रीय प्रतीक चिह्न का अनावरण जबसे हुआ हैं, तबसे ये चर्चा का विषय बन चुका हैं। वास्तव में अशोक स्तंभ का शेर शांत मुद्रा में हैं। लेकिन संसद भवन पर लगे अशोक स्तंभ में शेर आक्रामक अवस्था में हैं।
Ashok Stambh History (अशोक स्तंभ कैसे बना राष्ट्रीय प्रतीक)-
अशोक स्तंभ इतिहास; सम्राट अशोक मौर्य वंश के तीसरे शासक थे। जिनको भारत के सबसे शक्तिशाली शासकों में से एक कहा जाता हैं। उनका जन्म 304 ईसा पूर्व हुआ था। उनका साम्राज्य तक्षशिला से लेकर मैसूर तक फैला हुआ था। पूर्व में बांग्लादेश से पश्चिम में ईरान तक उनका राज्य फैला हुआ था।
इतिहास में कहा जाता हैं कि सम्राट अशोक ने अपने साम्राज्य में कई जगहों पर स्तंभ स्थापित करवा था। और यह संदेश दिया था कि यह राज्य हमारे अधीन है। उन्होने कई जगहो पर स्तंभ स्थापित कराया था। जिसमें से सारनाथ और सांची में उनके स्तंभ में जो हैं वो शेर शांत मुद्रा में नजर आते हैं। ऐसा कहा है कि ये दोनों प्रतीक उनके बौद्ध धर्म स्वीकार करने के बाद बनवाए गए हैं।
सारनाथ अशोक स्तंभ पर लगे चार शेरो का क्या महत्व हैं-
सारनाथ में रखा अशोक स्तंभ 7 फुट से अधिक ऊंचा है। तथा उसमें दहाड़ते हुए एक जैसे शेर चारों दिशाओं में स्तंभ के ऊपर बैठे हुए हैं। आत्मविश्वास, शक्ति, साहस और गौरव को दिखाते हैं। वहीं इसमें नीचे की तरफ एक बैल और घोड़ा बना हुआ है। बीच में धर्म चक्र है। पूर्वी भाग में हाथी और पश्चिम में बैल है। दक्षिण में घोड़े और उत्तर में शेर है। इनके बीच में चक्र बने हुए हैं। इसी चक्र को राष्ट्रीय ध्वज में शामिल किया गया है।
सत्यमेव जयते कहा से लिया गया हैं-
अशोक स्तंभ (Ashok Emblem) में नीचे सत्यमेव जयते लिखा गया है जो कि मुंडकोपनिषद का एक सूत्र है। । वास्तव में अशोक स्तंभ ताकत, साहस, गर्व और आत्मविश्वास को दर्शाता हैं।
अशोक स्तंभ को कब राष्ट्रीय प्रतीक के रूप में अपनाया गया-
अशोक स्तंभ को 26 अगस्त 1950 में राष्ट्रीय प्रतीक (National Emblem) के रूप में अपनाया गया हैं।