असम में ब्रम्हपुत्र का तांडव जारी प्रदेश की राजधानी गोहावटी सहित 28 जिले में बढ़ से भिसाद तबाही। जैसा की हम सब जानते है की असम भारत के सबसे ज्यादा बाढ़ प्रभावित क्षेत्रो में से एक है। यु तो हर साल असम के लोगो को बाढ़ का सामना करना पड़ता है। पर इस साल बाढ़ ने और भयानक रुख अपना लिया है। प्रशासन के सरे इंतज़ाम बौने साबित हुए है इस साल भी। लाखो लोग सड़को पर रहने को मजबूर है। असम में ब्रम्हपुत्र का कहर जारी।
आइये जानते है बाढ़ की मुख्य वजह –
असम में बाढ़ का मुख्य वजह है ब्रम्हपुत्र नदी का अनिश्चित बहाव। वैज्ञानिको का कहना है की ब्रम्हपुत्र एक ऐसी नदी है जिसका बहाव निश्चित नहीं है। तथा असम में आने वाले भू कम्प की वजह से ये अनिश्चितता और भी बढ़ गयी है। वर्त्तमान समय की बात करे तो ब्रम्हपुत्र नदी के किनारे स्थित सभी गांव बाढ़ से ग्रषित है। लोगो के घर दुकान सब कुछ पानी में डूब चूका है। ये कोई इसी एक साल की बात नहीं है बल्कि हर साल मानसून के समय यही स्थिति हो जाती है। पर सरकार हर साल नए नए वादे करती है और हर साल जनता को इसका सामना करना पड़ता है।
कौन कौन से इलाके है सबसे ज्यादा प्रभावित –
राजधानी गुहावटी सहित 28 इलाके बुरी तरह बाढ़ की चपेट में है जिनमे से कुछ इलाको में हल बाद से बत्तर हो गए है। स्थितिया इतनी ख़राब हो चुकी है की कई इलाको में चारो तरफ पानी ही पानी दिख रहा है। असम में ब्रम्हपुत्र का कहर जारी।
मुख्यतः मैदानी इलाको में जो ब्रम्हपुत्र के पास है उनका हल ज्यादा बुरा है प्रभावित इलाके –
गोआलपाड़ा, कामरूप मेट्रोपोलिटन, मोरीगांव, नागाओं, वेस्ट कारबी, आंगलोंग, गोलाघाट, होजाई, धेमाजी, लखीमपुर, बिस्वनाथ, सोनितपुर, उदालगुरी, दर्रांग, बक्सा, नलबारी, बारपेटा, चिरांग, कोकराझार, धुबरी, सलमारा, जोरहाट, माजुली, सिवसागर, डिब्रूगढ़, तिंसुकिअ सहित प्रदेश के अन्य इलाको में भरी तबाही मची है। सूत्रों का कहना है अब तक 40 लाख से भी ज्यादा लोग इस बाढ़ से प्रभावित हुए है 93 लोग अब तक अपनी जान भी गवा चुके है।
काजीरंगा नेशनल पार्क में भी हालात ख़राब –
इंसानो के साथ साथ जानवरो को भी इस बाढ़ का सामना करना पड़ रहा है। काजीरंगा नेशनल उद्यान का एक बहुत बड़ा इलाका जल-मग्न है। जानवर अपनी जान बचाने के लिए इधर उधर भाग रहा है। कई जानवर तो सड़को पर आ गए तथा कई इंसानो के इलाको में। हालही में वन विभाग में लोगो ने एक राइनो तथा टाइगर्स की जान बचाई। सैकड़ो जानवरो को बाढ़ से बचाया गया है जबकि 55 से अधिक जानवरो को अपनी जान भी गवानी पड़ी है।
लोगो का क्या कहना है -
लोगो का कहना है की यु तो उन्हें हर साल बाढ़ का सामना करना पड़ता है। पर इस साल यह स्थिति और भयानक हो गयी है। कई लोगो की मने तो इस साल की यह बाढ़ 100 साल में एक बार आती है। कोरोना ने पहले से ही जिंदगी को पटरी से उतार दिया है ऊपर से इस बाढ़ ने लोगो का जीना दूभर क्र दिया है। NDRF सहित लोकल सुरक्षा कर्मी लोगो की मदद में लगे हुए। पर यह बढ़ रुकने का नाम नहीं ले रही समय के साथ यह और भयावह होती जा रही है।
हर साल आने वाली इस बाढ़ से कैसे बचे -
विशेषज्ञों का कहना है की सरकार को इस मामले में गंभीर रूप से विचार करने की जरूरत है तथा नदी के किनारो पर बांध का निर्माण करना पड़ेगा। तथा नीदरलॅंड्स की बाढ़ से बचने वाली योजनाओ की भांति काम करना पड़ेगा। नदी किनारो पेड़ों और पौधों को बढ़ाना पड़ेगा। नदियों के लिए फ्री फ्लोइंग लैंड की धरना को महत्व देना होगा। नहीं तो एक दिन ये हालत और बत्तर होंगे और हज़ारो को अपनी जान खोनी पद सकती है।
असम के मुख्यमंत्री सर्बानंदा सोनोवाल ने बाढ़ ग्रषित कई इलाको का निरिक्षण किया तथा पीड़ितों की उचित सहायता करने का आसवासन दिया। लोगो से हिम्मत बनाये रखने की अपील की।
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