Babu Bandhu Singh/ Babu Bandhu Singh History/ Azadi Ka Amrit Mahotsav/ भारत के स्वतंत्रता सेनानियो में जिनका नाम गर्व से लिया जाता हैं। उनमें से एक हैं बाबू बंधू सिंह जी जिन्होने माता तरकुलहा देवी को दी थी। अंग्रेजो की बलि जिसकी वजह से माँ की थी। उनपर असीम अनुकम्पा फांसी देते समय जल्लाद के छूटे पसीने 6 बार टूटा फांसी का फंदा।
अमर शहीद बाबू बंधू सिंह (Babu Bandhu Singh) का इतिहास-
भारत इस साल अपना 75वॉ स्वतंत्रता दिवस मना रहा हैं। इस आजादी को दिलाने में बहुत से स्वतंत्रता सेनानियों ने अपने प्राणो का बलिदान दे दिया था। उसी में से एक थे अमर शहीद बाबू बंधू सिंह जी जिन्होंने 1857 की क्रांति में अहम योगदान दिया। पूर्वांचल में स्वतंत्रता की लड़ाई में जान डाली थी। ऐसा कहा जाता हैं कि बाबू बंधू सिंह जी पर पूर्वाचल सहित देशभर में प्रसिद्ध माता तलकुलहा देवी को उन्होने अग्रेंजो की बलि दे-दे कर प्रसन्न किया था।
तरकुलहा देवी का इतिहास-
बाबू बंधू सिंह तरकुलहा के पास स्थित घने जंगलों में रहकर मां की पूजा-अर्चना करते थे तथा देश को अंग्रेजों से छुटकारा दिलाने के लिए उनकी बलि मां के चरणो में अर्पति करते थे। तरकुलहा देवी मंदिर का इतिहास चौरीचौरा तहसील क्षेत्र के विकास खंड सरदारनगर अंतर्गत स्थित डुमरी रियासत के बाबू शिव प्रसाद सिंह के पुत्र व 1857 के अमर शहीद बाबू बंधू सिंह से विशेष प्रकार से जुड़ा हुआ हैं।
फांसी देते समय जल्लादो के छूटे पसीने-
अंग्रेजो बाबू बंधू सिंह जी से डरते थे। धोखे से बाबू बंधू सिंह जी को पकड़ लिया था। जब उन्हें फांसी पर लटकाने गये तो 6 बार लगातार फांसी का फंदा टूट गया। जिसके कारण वहाँ मौजूद जल्लादो के पसीने छूट गये। सांतवी बार बाबू बंधू सिंह जी ने स्वंय मां तरकुलहा देवी से प्रार्थना की माता मुझे अपने चरणो में ले लो। जिसके बाद से उन्होने स्वंय फांसी का फंदा पहन लिया और उनको फांसी हो गयी।
ऐसे देशप्रेमी व माता के परम भक्त के बलिदान को देश कभी नहीं भूला पाएगा। जब-जब देश की आजादी का जश्न मनाया जाएगा। बाबू बंधू सिंह जी को जरूर याद किया जाएगा।