दुनिया भर में कोरोना महामारी फैली हुई है अभी तक देश में 2 करोड़ 12 लाख कोरोना संक्रमितों की संख्या हो चुकी है। पूरी दुनिया कोरोना से परेशान था ही की वही खबरों में आ रहा है की कोरोना से भी बड़ा खतरा आने वाला है जो इंसानो के लिए बहुत बड़ा खतरा बताया जा रहा है। और यह बहुत तेजी से बढ़ता आ रहा है। यदि इस पर हमने ध्यान नहीं दिया तो स्थिति और भी बुरी हो जाएगी। जिसको हम सोच तक नहीं सकते। ये प्राकृतिक आपदाये कोरोना से बड़ा खतरा साबित हो सकती है।
क्यो कहा जा रहा हैं, ऐसा-
कैलिफॉर्निया के जंगलो में लगी आग -
अमेरिका के कैलिफॉर्निया के जंगलो में लगी भीषण आग लेकिन अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने कहा की जल्द ही वातावरण ठंडा हो जायेगा। वातावरण ठंडा होने से आग लगने की घटना ख़तम हो जाएगी। लेकिन मौसम के मिश्रण से आये मौसमो में बदलाव से दुनिया में खतरा बढ़ता जा रहा है। दुनिया में कही आग लग रही है तो कही बाढ़ का कहर बना हुआ है। कुछ दिनों पहले 8 सितम्बर की दोपहर सेन फ्रांसिस्को में लगी आग से इतना धुआँ निकल रहा था की मानो दिन में रात हो गयी हो।
धुएं के कारण सूरज की रोशनी तक नहीं दिख रही थी सिर्फ चारो तरफ धुँआ ही धुआँ और अंधकार था। अमेरिका के पश्चमी राज्यों में भीषण गर्मी पड़ने से मौसम बहुत ही सूखा और गर्म रहा जिसकी वजह से आग लग गयी। इसकी वजह से 30 लोगो की जान जा चुकी है और 50 लाख एकड़ जमीन भी जल चुकी है।
विपक्ष का मत -
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के डेमोक्रेटिक प्रतिद्वंदी जो बिडेन ने उन्हें जलवायु अपराधी बता रहे है। जो बिडेन ने इसे जलवायु परिवर्तन का नतीजा बताया है। लेकिन डोनाल्ड ट्रम्प वहाँ का जायजा लेने पहुंचे तो कहा की यह समस्या कही और है।साथ में ये भी कहा की 'हमने कभी इतने बड़े पैमाने पर आग नहीं देखी जंगलो की देख रेख को लेकर काफी कुछ करना है। जाहिर है की कैलिफॉर्निया में जंगलो की देख रेख बहुत अहम् है इसे बेहतर होना ही चाहिए।
कैलिफॉर्निया का तापमान सबसे ज्यादा-
इस की साल सबसे ज्यादा तापमान कैलिफॉर्निया के डेथ वैली में रिकॉर्ड किया गया। यहाँ का तापमान 54.4 डिग्री सेल्सियस माप किया गया। गर्मी की वजह से ब्लैक हॉट हो गया था। गर्मी ज्यादा होने से वह ऐरकण्डीशनर ज्यादा इस्तेमाल होने लगा। जिससे बिजली की मांग भी पूरी नहीं हो पा रही थी।
सूडान में नील नदी का कहर -
सूडान में भारी बारिस होने से वहाँ की नील नदी का जल स्तर रिकॉर्ड लेवल से ऊपर पहुंच गया था इसकी वजह से दर्जन लोग मारे गए और कई लोगो को अपना घर छोड़ कर जाना पड़ा। इन सबको देखते हुए सूडान की सरकार ने तीन महीने का आपातकाल लगा दिया।
ग्लेसीयर्स का तेजी से पिघलना -
वही पर पृथ्वी के दोनों द्रवों पर बर्फ पिघल रही है। से हर साल 13 फीसदी की रफ़्तार से बर्फ पिघल रही है जिसके कारण समुद्र का जलस्तर बढ़ता जा रहा है जो की एक प्रकार की चिंता का विषय है। कुछ लोगो के अनुसार 23 सताब्दी के अंत तक साल में आने वाले 1 करोड़ 60 लाख लोग बाढ़ की चपेट में आ सकते है।
क्या कहना हैं, इस पर विशेषज्ञो का-
भविष्य पर खतरा बना हुआ है कुछ लोगो का कहना है की इन सबकी वजह कोई और नहीं केवल इंसान ही है। जिसका समर्थन वर्ल्ड वाइड फण्ड फॉर नेचर ने करते हुए अपने द्वारा जारी किये गए रिपोर्ट में कहा की दुनिया भर के जंगलो में जानवरो की कमी आयी है और यह आने वाले विनाश का संकेत है। पहले से अभी तक जंगली जनवरी की संख्या में दो तिहाई आबादी काम हुई है और इन सबके लिए इंसान ही जिम्मेदार है।
जीवो की संख्या में कमी -
वैज्ञैनिको ने पाया है की 1970 से लेकर अब तक कई जीवो की संख्या में 68% तक की गिरावट आयी है। जिसमे 20 हजार से ज्यादा मैमल्स, पक्षी जमीन और पानी में रहने वाले जीव शामिल है। जिसका मुख्य कारण इंसानो द्वारा इनके रहने वाले घरो को नष्ट किया जाना और इनको पकड़ना है। जिसकी वजह से इतनी तादाद में कमी देखने को मिली है। इन्सान जंगल को काटता जा रहा है और जानवरो को मार के खता जा रहा है। यही कारण है की जानवरो की संख्या का काम होना। यदि इस पर हमने ध्यान नहीं दिया कोरोना से बड़ा खतरा साबित हो सकती है।
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