भारत में कोरोना संक्रमण के फैलने की रफ़्तार अब डराने लगी है। देश में कोरोना के नए मरीजों की संख्या में बढ़ोत्तरी होती जा रही है। ज्यादातर कोरोना वायरस से मरने वालो में उनके फेफड़ों, किडनी, या दिमाग में खून के थक्के बने पाए गए है। इसे रोकने के लिए भारत के डॉक्टरों ने मरीजों को एंटी कॉग्यूलेन्ट ड्रग देना शुरू किया गया है। जिससे मरीजों के खून में थक्का न बने और खून को पतला किया जा सके।
अचानक मौत की वजह -
भारत में कोरोना मरीजों की संख्या में तेजी से बढ़ोत्तरी होती जा रही है और साथ ही मरने वालो की संख्या भी तेजी से बढ़ रही है। कई रिपोर्ट की माने तो मध्यम लक्षण वाले मरीजों की तो अचानक मौत हो जा रही है। जिसने डॉक्टरों के मन में एक अजीब सा डर उत्पन्न कर दिया है। डॉक्टरों का कहना है की ऐसे मरीजों में खून का थक्का बन रहा है जिससे उनका कोरोना इलाज चलते वक्त ही मौत हो जा रही है।
खून में थक्का बनने से मरीजों के अंग फेल हो जा रहे है। जिससे अचानक ही मरीज की मौत हो जा रही है। यह सब देखते हुए भारत के डॉक्टरों ने एक तरकीब निकली है। जिसके अनुसार भारत के कई अस्पतालों में डॉक्टर मरीजों को ब्लड थिनर्स यानी खून को पतला करने वाली दवाई दी जा रही है। इसमें डाइबटीज की दवा आम है।
भारत में कोरोना संक्रमण जिस तरह से पैर पसार रहा है, यह भयावह स्तिथी पैदा कर सकता है। समय रहते यदि सरकार और स्वास्थ एजेंसियों ने इस पर कड़े कदम नहीं उठाये तो संकट की स्तिथी और गहरा सकती है। एक दिन में लगभग 84 हजार नए मामलो का मिलना देश में लोगो की कोरोना के प्रति लापरवाही का प्रतिक है। कई जगहों पर लोग मास्क का उपयोग नहीं कर रहे है। खैनी तथा गुटखा खाने वाले जगह जगह थूक रहे है। जो की संक्रमण को बढ़ावा दे सकता है।
आईसीएमआर का क्या कहना है इस पर -
लेकिन इंडियन काउंसिल ऑफ़ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) ने अभी तक खून को पतला करने की दवा के सम्बन्ध में कोई गाइडलाइन नहीं दी है। कुछ डॉक्टरों ने बताया की कोरोना मरीजों में खून का थक्का बनना ब्रिटेन, अमेरिका, और इटली में देखी गयी है।
गुरुग्राम के मेदांता हॉस्पिटल के हेड ऑफ़ क्रिटिकल केयर डिपार्टमेंट डॉक्टर यतिन मेहता ने बताया की इटली में तो कोरोना से मरने वालों की ऑटोप्सी में सामने यह आया की कोरोना के मरीजों के फेफड़ों, किडनी, और दिमाग में खून जम चूका था। इसलिए लिए वह के डॉक्टरों ने खून को पतला करने वाली दवाई का इस्तेमाल करना चालू किया। जिससे मरीजों के खून में थक्का न बन सके। और इसके साथ ही वह के डॉक्टरों ने यह भी खा की खून को पतला करने वाली दवाई को देश के सभी अस्पतालों में कोरोना के संक्रमण से ग्रसित मरीजों को यह दवा देनी चाहिए।
कोरोना मरीज के इलाज की नयी गाइडलाइन्स दिल्ली एम्स में जारी -
दिल्ली के एम्स में कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों के इलाज की गाइडलाइंस को पिछले हफ्ते ही बदली गयी है। इसमें कोरोना मरीजों को दी जाने वाली दवाइयो में थ्रौमबोप्रोफिलेक्सिस नामक दवाई को शामिल किया गया है। जो खून को पतला करने में मदद करेगी। जहा कोरोना मरीजों में सांस लेने की दिक्कत और निमोनिया के लक्षण साफ़ देखे गए। और इसके साथ ही मरीजों में किडनी और दिल से जुड़े मामले भी सामने आये है।
डॉक्टर के मुताबिक 40 फीसदी कोरोना के मरीजों के शरीर के अंगो जैसे फेफड़े, किडनी और दिमाग में खून का थक्का बन जा रहा है। देश में कोरोना मरीजों की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। यहां तक की अब तो एक दिन में 84 हजार कोरोना के नए मामले आये है जो की भयावह है। मृत्यु की दर में भी काफी तेजी से इजाफा हो रहा है।
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