ब्राह्मण समाज की दबती हुयी आवाज को उठाने तथा उनके हक की बात करने वालो में राजस्थान के दिनेश रानेजा जी का नाम गर्व से लिया जाता हैं। इन्होने पिछले चार वर्षो में राजस्थान तथा देश के अन्य जगहों पर ब्राह्मणो के खिलाफ होने वाली घटनाओं का पुरजोर विरोध किया हैं। तथा उनको इन्साफ दिलाने के लिए हमेशा सबसे आगे खड़े नजर आये हैं।
दिनेश रानेजा जी ने ब्राह्मणो के हक की लड़ाई में अपने चार साल लगा दिये तथा वह वर्तमान में भी ब्राह्मणों के हक की लड़ाई लड़ रहे हैं। यू तो दिनेश रानेजा जी हमारे समाज का एक चिरपरिजित चेहरा बन चुके हैं। परन्तु आज हम आपको अपने शब्दों में उनके सघर्ष की कहानी बताने जा रहे हैं।
दिनेश रानेजा जी का परिचय -
इनका जन्म राजस्थान के ब्रह्मनगरी पुष्कर जिले में हुआ हैं। इन्होने अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद जब नौकरी करने की सोची तब वहाँ पर उनको जातिवाद और आरक्षण का सामना करना पड़ा। जिससे परेशान होकर इन्होनें स्वंय का व्यापार करने का मन बनाया। वहाँ पर भी इन्हे जातिवाद का सामना करना पड़ा। तथा इन्होने पाया कि हर एक क्षेत्र में ब्रह्मणो की आवाज दबाई जा रही हैं। तथा ऐसा कोई भी क्षेत्र नहीं हैं, जिसमें जातिगत रूप से ब्रह्मणो से उनका हक ना छिना जा रहा हो।
उसी समय इन्होने निश्चय किया कि ये ब्राह्मण समाज के हक के लिए आवाज उठायेगे। उस समय से इन्होने जातिवाद और आरक्षण के खिलाफ आवाज उठाना शुरू कर दिया। शुरूआत में इन्हें उतने लोगो का साथ नहीं मिला लेकिन उसके बावजूद भी दिनेश रानेजा जी ने हार नहीं माना वो लगातार ब्राह्माण समाज को न्याय दिलाने कि कोशिश करते रहें। इन्होने हमें अपने इन्टरव्यू में बताया कि इनकी लड़ाई किसी विशेष पार्टी या जाति से नहीं हैं। इनकी लड़ाई वर्तमान समाज में हो रहे जातिवाद, आरक्षण तथा ब्राह्मण समाज की उपेक्षा से हैं।
बीते चार वर्षों से ये इस क्षेत्र में कार्यरत हैं, तथा इन्होने इस समय अन्तराल मे छोटे से बड़े हर मामलो में ब्राह्मण समाज की आवाज को बुलन्द किया हैं। ऐसे तो इन्होने चार वर्षो में ही अपनी बात का लोहा मनवाया हैं।
इनके द्वारा ब्राह्मण समाज के उत्थान के लिए किये कुछ कार्य -
1. स्वर्ण आरक्षण की लड़ाई -
स्वर्णों को आरक्षण दिलाने के क्षेत्र में यू तो कई लोग आगे आये लेकिन ब्राह्मण समाज की ओर से दिनेश रणेजा जी का योगदान महत्वपूर्ण माना जाता हैं। इन्होने सरकारी नौकरी में स्वर्णों को आरक्षण दिलाने लिए बहुत सघंर्ष किये। इसके लिए इन्होने आंदोलन किये तथा धरने भी दिये। तथा जबतक स्वर्णों को आरक्षण नहीं मिला इन्होने हार नहीं माना और बार-बार सरकार से आरक्षण देने की मांग करते रहें। और इनके द्वारा किया गया यह कार्य सघर्ष सफल हुआ।
इन्ही की संघर्ष का नतीजा हैं जो आज स्वर्णो को दस प्रतिशत सरकारी नौकरी में आरक्षण मिला हैं। और यह आरक्षण आर्थिक रूप से कमजोर लोगो के लिए एक वरदान साबित हुआ।
2. जातिवाद का विरोध करना इनका उद्देश्य -
दिनेश रानेजा जी का कहना
हैं, कि नौकरी से लेकर व्यापार तक हर एक क्षेत्र में जातिवाद को बढ़ावा देना एक कुंठित मानसिकता हैं। उनका कहना हैं, कि व्यक्ति भले ही किसी भी समुदाय से हो उसे सामान अधिकार होना चाहिए। जिससे समाज में एक सन्तुलन बना रहें। वह कहते हैं, कि उनको अपने जीवनकाल में जातिवादी विचारधाराओ का कई बार सामना करना पड़ा। जिससे वे काफी आहात हुए। इसीलिए उन्होने अपने समाज की दबती हुई आवाज को उठाने का निश्चय किया। तथा इस क्षेत्र में आगे बढ़े।
बीते चार वर्षो में इन्होनें कई सारे आंदोलनो में बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया तथा दृढ़ता के साथ उनका नेतृत्व किया जिनमें से कुछ घटनायें निम्न हैं -

Dinesh Raneja
अमोहा के बगरा साजौर के विकास शर्मा को न्याय दिलाया -
अमोहा के बगरा साजौर के विकास शर्मा नामक एक युवक को कुछ आदमियों तथा औरतो द्वारा मंदिर में जल चढ़ाने के लोटा ना भरने पर उस युवक पहले मारा-पीटा गया तथा उसके बाद उसको लोटे में भरकर जबरन मूत्र पिलाया गया। जिससे आहात होकर उस युवक ने आत्महत्या कर ली। इसके बाद सम्पूर्ण ब्राह्मण समाज आक्रोशित हो गया तथा इस घटना का विरोध करने लगे परशुराम सेना ने इस मामले को सरकार तक पहुचाने में एड़ी चोटी का जोर लगा दिया। तथा प्रशासन के सामने पीड़ित परिवार को मुवाबजे के रूप में 25 लाख रूपये तथा एक सरकारी नौकरी प्रदान करने की मांग रखी। तथा अपराधियों के विरूद्ध कड़ी से कड़ी कार्यवाही करने को कहा।
नोहर भादरा हनुमानगढ में पवन व्यास हत्याकांड -
नोहर भादरा हनुमानगढ में पवन व्यास हत्याकांड में भी पीड़ीत परिवार की आवाज बनकर दिनेज रानेजा जी आगे आये। पवनव्यास की हत्या वही पंचायत भवन में हुई थी। आपको बता दे कि इस हत्याकांड को समाज तथा सरकार द्वारा पूर्णतः नजरअंदाज किया गया। परन्तु जब इस घटना की जानकारी दिनेश रानेजा जी के पास पहुची तथा उन्हें ये पता चला पीड़ित का पिता न्याय के लिए अकेले लड़ रहे हैं।
तब दिनेश रानेजा जी ने इस मामले को प्रशासन तक पहुचाने का निश्चय किया तथा उन्होने अपने दो महीने की कड़ी मेहनत के बल पर इसे एक आंदोलन का रूप दिया। इस प्रकार दिनेश रानेजा जी के ब्राह्मण समाज के प्रति समर्पण भाव के कारण पीड़ित परिवार को दो साल बाद न्याय मिलना शुरू हुआ।
इसके आलावा भी इन्होने कई मामलो में ब्राह्मण समाज के छोटे से छोटे मुद्दो को प्रशासन तक पहुचाया तथा पीड़ितो को न्याय दिलाने में अग्रणीय रहे। हालहि में जब ब्राह्मण समाज के एक व्यक्ति की जाट समुदाय के कुछ लोगो द्वारा हत्या कर दी गयी। तब भी इन्होने पीड़ित परिवार को इन्साफ दिलाने के लिए थाने का घिराव किया। तथा पांच आरोपियों को सजा दिलायी।
इनका कहना हैं कि यह ना किसी सरकार का समर्थन ना ही विरोध करते है। लेकिन अगर किसी को पीड़ित किया जायेगा तो वह उसकी आवाज प्रशासन तक पहुचायेगे। उसे उसका हक तथा न्याय दिलाने के लिए उन्हे चाहे किसी का भी विरोध करना पड़े वो करेगे।
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Jay shree syam