दीपावली हिन्दुओ के सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। लेकिन दीपावली का पर्व हिन्दू धर्म में आस्था रखने वाले लोग बड़ी धूम धाम से मनाते है। ये पर्व अपने साथ कई अन्य मत्वपूर्ण पर्व भी लाता है। यह पर्व भगवान श्री राम के लंका विजय के पश्चात् अयोध्या वापसी के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। आइये हम आपको बताते है इस साल दीपावली के महत्वपूर्ण पर्व की तिथि और उनकी सम्पूर्ण पूजा विधि। दीपावली तिथि पूजा विधि
दीपाली इस साल 14 नवम्बर को पड़ रही है। यह त्यौहार कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष तिथि में अमावस्या के दिन मनाया जाता है। इस पर्व के साथ धनतेरस, नरक चतुर्दस, गोवर्धन पूजा, भाई दूज जैसे मुख्य त्यौहार मनाये जाते है। इस पर की शुरुवात धनतेरस के साथ होती है और भाई दूज अंतिम त्यौहार के रूप में मनाया जाता है। दीपावली तिथि पूजा विधि
दिवाली तिथि और पूजा विधि -
जैसा की हम जानते है इस साल मलमास के कारण दीपावली देर से पड़ रही है। और साथ ही इस साल महीने के दो दिन अमवस्या पड़ रही है। जिससे लोगो मेये संदेह होगा कौन सा दिन उचित होगा दिवाली मनाने के लिए 14 या 15 नवम्बर। तो पंचांगों के आधार पर इस साल दिवाली मनाने का उचित समय 14 नवंबर को होगा।
पंचांगों के अनुसार दिवाली 14 नवंबर की दोपहर 2 बजकर 18 मिनट से 15 नवम्बर के 10 बजकर 37 मिनट तक दीपावली का मुहूर्त होगा। अर्थात दिवाली इस दिन रात्रि को मनाई जाएगी। पुराणों के आधार पर इस दिन माता लक्ष्मी की विशेष कृपा होती है। इस दिन मध्य रात्रि को माँ लक्ष्मी भगवान ब्रम्हा के आदेश पर पृथ्वी पर आती है।
धनतेरस तिथि और पूजाविधि -
धनतेरस का त्यौहार इस बार 13 नवंबर को मनाया जाएगा। धनतेरस के दिन भगवान धन्वन्तरि की लोगो द्वारा पूजा आराधना की जाती है। इस साल धनतेरस का शुभमुहूर्त 6 बजे से शुरू होकर रात के 8 बजकर 33 मिनट तक रहेगा। इस दिन लोग घर के लिए बर्तन, गहने, अन्य आभूषणों के साथ सोने चांदी की अन्य वस्तुओ को खरीदते है।
नरक चतुर्दस -
इस साल नरक चतुर्दस का पर्व दिवाली के दिन अर्थात 14 नवम्बर की सुबह मनाया जायेगा। इस दिन अभ्यंग स्नान का सुबह मुहूर्त 5:23 से शुरू होकर 6:43 तक चलेगा।
भाई दूज समयकाल -
भाई दूज इस साल 16 नवम्बर को मनाई जाएगी। यह दिवाली के बाद का अंतिम त्यौहार होता है। इस दिन बहने अपने भाइयो को टिका करती है। भाई दूज का सुबह मुहूर्त इस दिन के दोपहर 1 बजकर 31 मिनट से 3 बजकर 45 मिनट तक रहेगा। इसी समयांतराल के बीच ही सभी बहने ये रश्म अदा करेंगी।
गोबर्धन पूजा विधि और समयकाल -
गोबर्धन पूजा दिवाली के बाद मनाई जाती है। इस दिन भगवान कृष्ण ने इंद्रा पर विजय प्राप्त की थी। गोवर्धन वही पर्वत है जिसे श्री कृष्ण ने गोकुल वासियो की सुरक्षा के लिए अपनी ऊँगली पर उठाया था। गोबर्धन पूजा 15 नवम्बर की दोपहर 3 बजकर 45 मिनट से 6 बजे तक मनाया जायेगा।
दीपावली तिथि पूजा विधि, ऐसी ही अन्य महत्वपूर्ण जानकारी के लिए हमारी साइट जागरूक हिन्दुस्तान से जुड़े तथा हमारे फेसबुक और ट्वीटर अंकाउड को फालो करके हमारे नये आर्टिकल्स की नोटिफिकेशन पाये।