कृषि कानून के विरोध में चल रहे आंदोलन को कई दिन बीत चुके है। पर अभी तक सरकार और किसान दलों के बीच कोई सहमति बनती नजर नहीं आ रही है। ऐसे में आज किसान नेताओ ने धरना स्थल पर भूख हड़ताल करने का एलान कर दिया गया है। देश के कई हिस्से से किसान इस आंदोलन के सपोर्ट में सामने आ रहे है।
24 घंटे का भूख हड़ताल -
देश में चल रहे इस किसान आंदोलन को सरकार द्वारा दबाने की हर तरह की कोशिश की जा रही है। पर किसान आंदोलन रुकने का नाम नहीं ले रहा। हालही में इस आंदोलन के चलते 22 किसानो की मौत हो गयी। हलाकि अभी भी किसान इस आंदोलन को वापस लेने को तैयार नहीं है। सरकार भी किसानो की बात को सुनने के लिए राजी नहीं। ऐसे में किसानो ने आज 24 घंटे के लिए भूख हड़ताल पर जाने का मन बना लिया है। वही देश के अन्य हिस्सों गुजरात, राजस्थान, पश्चिमी उत्तर प्रदेश से कई किसान इस आंदोलन में हिस्सा लेने दिल्ली का रुख कर रहे है।
किसानो का देश के नाम आग्रह -
वही आंदोलन में शामिल किसानो ने देश के लोगो से 23 दिसंबर के दिन एक टाइम का भोजन त्यागने का आग्रह किया है। 23 दिस्मबर के दिन किसान दिवस के दिन देश के अन्नदाता के लिए देश वासी एक समय का भोजन त्यागकर अपना सहयोग इस आंदोलन में जाहिर करे। वही पंजाब के कई आढ़तों के पास आयकर विभाग की नोटिस भी पहुंची है। किसानो का आरोप है सरकार कर रही है बदले की राजनीती। जानबूझकर परेशान किया जा रह है ताकि आंदोलन का समर्थन का करे लोग।
सरकार का पक्ष -
वही अभी भी केंद्र सरकार का यही कहना है की देश के किसानो को भरमाया जा रहा है। और केंद्र के कुछ मंत्रियो ने तो आंदोलनकारियों को खालिस्तानी, चीन समर्थक तक कह दिया। वही योगी आदित्यनाथ जो की BJP के एक मुख्य चेहरा है। वो उत्तर प्रदेश में कई किसान रैलियों को सम्बोधित कर इस बिल के फायदे बता रहे है। वही कई मंत्रियों का कहना है की बातचीत ही एक मात्र रास्ता है इस मुद्दे का हल करने के लिए।
हालाकि किसान नए कृषि कानून को अडानी और अम्बानी का कानून बता रहे है। उनका कहना है जिस तरह यूपी और बिहार के किसान मंडी ख़त्म होने से अपने उत्पाद का सही मूल्य नहीं पता वही हाल केंद्र हमारा करना चाहती है। इस मुद्दे को लेकर सुप्रीम कोर्ट में भी बहस जारी है।
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