आज पूरा भारत मंगल पांडे जी की 193 वीं जंयती मना रहा हैं। आपको बता दे कि 1857 की क्राति में मंगल पांडे जी का महत्वपूर्ण योगदान रहा हैं। इन्होनें 1857 की क्रांति में अग्रदूत का कार्य किया था। और अंग्रेजी शासन की नींव हिला डाली थी। उनके त्याग और बलिदान ने भारत के नागरिकों के ह्रदय में स्वतंत्रता आंदोलन की भावना को प्रेरित किया था।
मंगल पांडे जी के जीवन से जुड़े कुछ तथ्य -
मंगल पांडे जी के जन्म स्थान के बारे में बात करे तो इतिहासकार संदेह में हैं। कुछ लोग उनका जन्म स्थान बलिया तथा कुछ फैंजाबाद मानते हैं। उनका जन्म 19 जुलाई 1827 को एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। इनका पूरा परिवार भारत माँ की सेवा में लगा हुआ था। मंगल पाण्डे जी ईस्ट इंडिया कम्पनी की सेना में कार्यरत्त हो गये थे। लेकिन जब उन्होने वहाँ के कार्यप्रणाली को जाना तो उन्हें बहुत आहात हुआ। यही से उन्होने अंग्रेजो का विद्रोह करना शुरू कर दिया था।
मंगल पांडे जी के द्वारा अंग्रेजी शासन के विद्रोह का कारण -
जब मंगल पांडे जी ईस्ट इंडिया कम्पनी में शामिल हुए। तो उन्होने वहाँ देखा कि वहाँ पर सिपाहियों को जो बंदूक दी जाती हैं। उस बंदूक में बारूद या गोली भरने के लिए बंदूक को मुहं से खोलना पड़ता था। और उस बंदूक में गाय और सुअर की चर्बी लगी होती थी। और मंगल पाण्डे जी पंडित होने के साथ ब्रह्मचारी भी थे। जब ये बात उनको पता चली तो उन्होने उसका विरोध किया। और रेजीमेण्ट के अफसर लेफ्टीनेण्ट पर हमला कर दिया था। मंगल पाण्डे द्वारा ऐसा करने पर उनको गिरफ्तार करने का आदेश दिया गया था। लेकिन वहाँ के सिपाहियों ने उनको गिरफ्तार करने से मना कर दिया था। केवल वहाँ पर एक सिपाही जिसका नाम शेख पलटु था उसको छोड़कर।
मंगल पांडे जी के द्वारा किये गये विद्रोह का परिणाम -
मंगल पांडे जी द्वारा अंग्रेजी शासन का किया गया ये विरोध पूरे देश में आग का रूप धारण कर चुका था। उनके विद्रोह की आवाज झाँसी से लेकर पूरे उत्तर-भारत में देखने को मिली थी। जिसकी वजह से उनकी मृत्यु के 1 माह बाद 10 मई 1857 को मेरठ में देश की पहली स्वतंत्रता क्रांति हुई। जिसने अंग्रेजी शासन को हिला कर रख दिया था। तथा अंग्रेजों को ये सोचने पर मजबूर कर दिया था। कि शायद अब उनका भारत पर राज्य करना आसान नहीं होगा। इसके खिलाफ पूरे भारत में 34735 कानून अंग्रेजी शासन द्वारा लगा दिया गया। ताकि दूबरा कोई भी मंगल पांडे जी की तरह बगावत ना कर पाये।
1857 की क्रांति में क्यों नहीं मिल सकी स्वतंत्रता -
10 मई 1857 को भारत में मेरठ में हुई अग्रेंजी शासन के खिलाफ क्रांति पूर्ण रूप से भारत को स्वतंत्र कराने में असफल रही थी। क्योंकि पूरे भारत में क्रांति एक दिन ना होकर अलग-अलग दिन की गयी थी। अगर पूरे भारत में एक दिन ही अंग्रेजी शासन के खिलाफ बगावत हुआ होता तो भारत 1857 में ही आजाद हो गया होता। लेकिन 1857 की क्रांति और मंगल पांडे जी के विरोध ने देश के नौवजवानो में स्वंत्रता की चिनगारी भड़का दी थी। जिसकी वजह से 15 अगस्त 1947 को भारत पूर्ण रूप से अंगेजो से स्वतंत्र हो पाया था।
क्यों दी गयी मंगल पांडे जी को फाँसी -
मंगल पांडे जी द्वारा अंग्रेजी शासन के विरूद्ध चर्बी वाले बंदूक को मुहं से ना खोलने के विरोध से अंग्रेजी शासन भयभीत हो चुका था। क्योकि जब अंग्रेजो द्वारा मंगल पांडे को गिरफ्तार करने की बात की गयी थी तो शेख पलटु को छोड़कर सबने उन्हे गिरफ्तार करने से मना कर दिया था। बताया जाता हैं, कि मंगल पांडे जी ने अपने सैनिक साथियों से कहा था कि वों मिलकर अंग्रेजी सरकार का विरोध करे लेकिन उन लोगो ने ऐसा करने से मना कर दिया था। जिसकी वजह से मंगल पांडे जी ने स्वंय की बंदूक से अपनी जान लेने की भी कोशिश की थी। लेकिन वो इसमें सफल ना हो सके जिसके बाद अंग्रेजो ने उन्हें फाँसी की सजा सुना दी थी। 8 अप्रैल 1857 को उनको मात्र 26 वर्ष की आयु में फाँसी दे दी गयी थी। मंगल पांडे जी की जंयती
एसे भारत माँ के वीर सपूत और उनके अमर बलिदान को हमारा सत्त-सत्त नमन।
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