उत्तर-प्रदेश के गोरखपुर शहर को कौन नहीं जानता हैं। गोरखपुर शहर का नाम एक महान तपस्वी गोरक्षनाथ के नाम पर रखा गया था। तथा वहाँ पर इनके नाम पर एक मठ भी हैं, जिसका नाम गोरखनाथ हैं। बताया जाता हैं कि यह वही स्थान हैं, जहाँ पर गोरखनाथ हठ योग का अभ्यास किया करते थे। क्या आपको पता हैं कि एचयूआऱएल मीनार, गोरखपुर में कुतुबमीनार से भी ऊची मीनार हैं। चलिए हम आज आपको उस मीनार के बारे में बताते हैं।
गोरखपुर का इतिहास -
गोरखपुर इतिहास काल से ही बहुत प्रसिद्ध था। क्योकि यहाँ पर ही गौतम बुद्ध ने सत्य की खोज की थी। तथा ये महावीर के यात्रा काल से भी जुड़ा हुआ हैं। यही पर महान सन्त कबीर का जन्म स्थान भी हैं।
महाभारत काल में इसकी चर्चा हैं। बताया जाता हैं कि महाभारत काल में भीम यहाँ पर आये थे। और कई दिनों तक उन्होने यहाँ पर विश्राम भी किया था। जिसकी वजह से यहाँ पर इनकी विशालकाय मूर्ति भी बनी हुई हैं।
स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ा इतिहास -
ना सिर्फ इतिहास काल से ही अपुति स्वतंत्रता संग्राम में ही इस शहर का बहुत बड़ा योगदान रहा हैं। चौरी-चौरा कांड यही पर हुआ था। जिसने भारतीय स्वतंत्रता आंदलोन में एक अहम भूमिका निभाई थी। भारत तथा दुनिया का सबसे बड़ा रेलवे-स्टेशन भी गोरखपुर में ही हैं। गोरखपुर को उत्तर-प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी का गढ़ भी बोला जाता हैं।
क्यों हैं ये मीनार कुतुबमीनार से भी ऊँचा -
आपको बता दे कि गोरखपुर में हिन्दुस्तान का सबसे ऊचाँ मीनार हैं। जिसकी ऊचाँई कुतुबमीनार से भी ज्यादा हैं। गोरखपुर में बन रहा हिन्दुस्तान यूरिया रसायन लिमिटेड का मीनार कुतुबमीनार से भी ज्यादा ऊँचा बन गया हैं। इससे पहले सबसे ऊचाँ फर्टिलाइजर चम्बल कोटा में था। इसकी ऊँचाई 141 मीटर हैं। लोकिन गोरखपुर में बन रहा ये टावर इससे भी ऊँचा हैं। इसकी ऊचाँई 149 मीटर हैं।
कितनी ऊचाँई हैं कुतुबमीनार की -
आपको बता दे कि कुतुबमीनार की ऊचाँई सिर्फ 78 मी हैं। और गोरखपुर में एचयूआऱएल के इस टॉवर की ऊँचाई 149 मीटर हैं। ये अब भारत का सबसे ऊचाँ टॉवर बन चुका हैं। कुतुबमीनार का चौड़ाई 14 मीटर हैं। और यूरिया प्लांट के टॉवर की 28-29 मीटर है।
किसने किया था इसका शिलानिवास -
गोरखपुर में बन रहे यूआरएल के शिलानिवास भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 27 फरवरी 2018 में किया था।
कैसे बनेगी यूरिया -
इस टॉवर के सबसे ऊपर जाल बनाया जायेगा। तथा उस जाल से यूरिया बनाने का कैमिकल गिराया जायेगा। इसके लिए ऑटोमेटिक सिस्टम भी तैयार किया गया हैं। जिसके द्वारा कैमिकल जिसमें अमोनिया का लिक्विड होगा। वो हवा नाइट्रोजन से क्रिया करेक नीचे आकर यूरिया छोटे-छोटे दाने के रूप में टॉवर के बेसमेंट में गिरेगा। तथा जब यूरिया बन जायेगा तब उसमें नीम से कोटिंग करके इसे पैंक कर दिया जायेगा।

एचयूआऱएल मीनार, गोरखपुर में हैं कुतुबमीनार से भी ऊँचा मीनार Credit JagRuk Hindustan
किसको दिया गया हैं इसको बनाने का कॉट्रेक्ट -
इस टॉवर को बनाने का कॉट्रेक्ट जापान की कम्पनी टोयो को दी गयी हैं। तथा प्रधानमंत्री के शिलान्यास के बाद उन्होने इसे बनाने का काम भी शुरू कर दिया हैं।
किसने और कब पहली बार इसका निर्माण करवाया -
20 अप्रैल 1968 को इसकी स्थापना इंदिरा गाँधी जी द्वारा करायी गयी थी। तथा 1990 में ये कारखाना बन्द हो गया था। भारत के 5 भारतीय ऊर्वरक कारखाना में से एक था। बताया जाता हैं कि 10 जून 1990 को इसमें गैस लीक होने लगी थी। गैस लीक के समय इसमें एक कर्मचारी की मृत्यु हो गयी थी। तथा 2002 में तत्कालिन प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी जी ने इसे पूर्ण रूप से बन्द करने का आदेश दिया था।
प्रधानमंत्री द्वारा उठाये गये इस कदम की सभी लोग तारीफ कर रहे हैं। तथा इस कारखाने के शुरूआत हो जाने के बाद गोरखपुर तथा उससे लगे अन्य जिले के लोगो को रोजगार मिलेगा।
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