Jallianwala Bagh Massacre |Jallianwala Bagh Massacre History | जालियांवाला बाग हत्याकांड जिसमें हजारो की तदाद में निहत्थो पर गलियाँ बरसाई गयी। आज भी ये बाग ना जाने कितने मासूमो की निर्मम हत्या का गवाह हैं। क्या आपको पता हैं, आप आज भी बहुत-सी बातो से अंजान जानिये क्या हैं जालियांवाला बाग का वास्तविक सत्य
"अंधेरो में वह उजाला था,
दिन वो भी काला काला था
भूल गए शायद लोग जिसे,
वह बाग जलियांवाला था।"
Jallianwala Bagh Massacre (जालियांवाला बाग हत्याकांड का इतिहास)-
Jallianwala Bagh Massacre Date-
13 April 1919
"गूंज रही थी चारों दीवारें,
तब इंकलाब के नारों से
सहम उठा जब पूरा भारत,
डायर के अत्याचारों से
क्या बच्चे क्या बूढ़े क्या नौजवान थे,
जब जलियांवाला बाग में लिखी
खूनी कलम ने कहानी थी।"
जालियांवाला बाग हत्याकांड क्या हुआ था-
आज जालियांवाला बाग हत्याकांड को बीते भले ही 103 हो गये हो। लेकिन आज भी लोग इस घटना को नहीं भूल पाये हैं, 1650 राउंड की फायरिंग और 379 लोगो की मौत ये आकड़ा ब्रिटिश सरकार द्वारा जारी किया गया था। लेकिन लोगो की माने तो इस दिन हजारो की तदाद में लोगो ने अपनी जान गवायी थी।
- जलियांवाला बाग हत्याकांड की घटना को 103 वर्ष हो गये हैं।
- 13 अप्रैल 1919 का यह काला दिन जिसने इंसानियत को शर्मसार कर दिया था
- ब्रिटिश सरकार भारत के किसी भी नागरिक को देशद्रोह के शक के आधार पर गिरफ्तार करना चाहती थी
- 13 अप्रैल सन 1919 में जलियांवाला बाग में काफी संख्या में लोग इकट्ठे हुए थे।
- ब्रिटिश सरकार ने 10 मार्च 1919 को रोलैक्ट एक्ट पारित किया गया।
- अमृतसर में रोलैक्ट एक्ट के खिलाफ विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व डॉ सत्यपाल मलिक और डॉ. सैफुद्दीन किचलू ने किया।
- डॉ सत्यपाल मलिक और डॉ. सैफुद्दीन किचलू के गिरफ्तारी के विरोध में आयोजित की गयी सभा।
- 10 अप्रैल को नेताओं की रिहाई की मांग करते हुए पचास हजार की संख्या में लोग एकत्रित हुए और एक मार्च निकाला।
- अंग्रेजों ने महात्मा गांधी को पंजाब में घुसने नहीं दिया और मुंबई वापस भेज दिया।
- जान बचाने के लिए लोग इधर-उधर भागने लगे जिसकी वजह से भगदड़ में ही कई लोगों की मौत हुई। जिसके बाद एक के ऊपर एक कई लाशें बिछ गईं। कुछ लोग तो जान बचाने के लिए बाग में स्थिति कुएं में कूद गए
- पंजाब राज्य के हालातों को देखते हुए ब्रिटिश सरकार ने राज्य के कई शहरों में मार्शल लॉ लगा दिया था।
- 20000 लोगों पर लगभग 10 मिनट तक गोलियां बरसाता रहा जनरल डायर
- 23 मार्च 1920 को जनरल डायर को दोषी करार देते हुए उसको सेवानिवृत्त किया गया।
- हत्याकांड के विरोध में रविंद्र नाथ टैगौर समेत कई लोगों ने उपाधियां त्यागी।
- इस घटना को लेकर पूरी दुनिया में ब्रिटिश हूकूमत की किरकिरी हुई थी। जिसके बाद अंग्रेजी सरकार के प्रति बढ़ते असंतोष के चलते इस घटना की जांच करने के लिए तहकीकात और हंटर नामक समिति गठित की गई।
- इस समिति ने ने अपनी रिपोर्ट में जनरल डायर को निर्दोष करार दिया था।
- उधम सिंह ने 13 मार्च 1940 को लंदन की रॉयल सेंट्रल एशियन सोसायटी के हाल में माइकल ओ डायर की गोली मारकर हत्या कर दी थी।
- 31 जुलाई को डायर की हत्या के आरोप में उधम सिंह को फांसी की सजा दी गई।
- भारत सरकार ने 1961 में जलियांवाला बाग नरसंहार में मारे गए लोगों को श्रद्धांजलि देने के लिए वहां एक स्मारक का निर्माण करवाया।
क्या आप जानते हैं उधम सिंह ने नहीं मारा जनरल डायर को-
1927 में जनरल डायर की मौत ब्रेन हैमरेज की वजह से हो गयी थी। जिसने निहत्थे लोगो पर गोलियाँ चलवा दी। इसमें दो लोग शामिल थे। जनरल डायर और माइकल ओ ड्वायर को मारा था। जिसने इस घटना का समर्थन किया था।
"मरे नहीं वो शहीद हुए,
भारत माँ के दीद हुए
रहेंगे हमेशा उस माटी पर,
आज़ादी की उम्मीद हुए।
शहीदों को भावभीनी श्रद्धांजलि!"
इस घटना में उधम सिंह के कई परिवाजनो की जाने गयी थी। जिसके बाद उन्होने बदला लेने की शपथ ले ली थी। और लंदन जाकर ओ ड्वायर को मार डाला।
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