जम्मू कश्मीर नया भूमि कानून जम्मू कश्मीर में काग्रेंस के कमेटी ने केन्द्रशासित प्रदेशो के मुख्यधाराओ के दलो का साथ देते हुए केन्द्र द्वारा जारी किये गये नये भूमि कानून का विरोध किया। और कहा काग्रेंस पार्टी नये कानून को खारिज करती हैं और जनता के अधिकारों की रक्षा के लिए लड़ने की प्रतिज्ञा लेती हैं।
विस्तार-
जम्मू कश्मीर में केंद्र सरकार द्वारा नया कानून पारित किया गया हैं। जिसका विरोध काग्रेंस कमेटी द्वारा किया जा रहा हैं, जम्मू कश्मीर में काग्रेंस कमेटी के अध्यक्ष गुलाम अहमद मीर ने बांदीपोरा जिले के गुरेज में आयोजित एक जनसभा में जनता को संबोधित करते हुए कहा हैं, कि हम जनता के साथ हैं और केंद्र के द्वारा जारी किये गये नये कानून का विरोध करते हैं।
नेशंनल कॉफ्रेन्स और पीडीपी सहित जम्मू कश्मीर में मुख्यधारा के अनेक राजनीतिक दलो के गंठबंधन ने घोषणा पीपल्स अलायस ने भी नये कानून का विरोध किया और इस बिल की कड़ी निंदा भी की जम्मू कश्मीर नया भूमि कानून
जम्मू कश्मीर नया भूमि कानून-
जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 व 35ए को पहले ही हटा दिया गया हैं। इसके बाद अब जम्मू कश्मीर में कई सारे संसोधन केंद्र सरकार द्वारा किया गया हैं इसी में जम्मू कश्मीर नया कानून भी हैं, जिसमें केंद्रीय गृहमत्रांलय द्वारा एक राजपत्रित अधिसूचना के जरिये भूमि कानूनो में विभिन्न प्रकार के बलावो की जानकारी दी गयी हैं।
अब जम्मू कश्मीर में बाहर के लोग भी भूमि खरीद सकते हैं। और कृषि के लिए भूमि का इस्तेमाल कर सकते हैं। सबसे बड़ा बदलाव धारा 17 में किया गया हैं जिसमें राज्य के स्थायी निवासी वाक्यांश को हटाया गया है।
उमर अब्दुला ने कहा-
उमर अब्दुला ने कहा ही केंद्र द्वारा पारित किया नया कानून को लद्दाख की जनता को भी स्वीकार नहीं हैं। और इसी तरह पीएजीडी के प्रवक्ता ने भी नये कानून का विरोध करते हुए कहा हैं, कि गृह मंत्रालय के इस आदेश को बहुत बड़ा विश्वासघात घोषित किया हैं।
तो वही पीपुल्स डेमेक्रेटिक पार्टी व नेशनल पैथर्स पार्टी ने जम्मू कश्मीर के बाहर के लोगो को केन्द्र शासित प्रदेश में बाहर के लोगो को भूमि खरीदने का विरोध करते हुए नये भूमि कानून के विरोध में जगह-जगह प्रदर्शन किया। और इस कानून को वापस लेने की बात कही।
जेकेएनपीपी के अध्यक्ष एंव पूर्व मंत्री हर्षवर्धन सिंह ने प्रदर्शनकारियो का नेतृत्व किया और जम्मू कश्मीर नये कानून का विरोध किया।
जम्मू कश्मीर नये कानून का विरोध करते हुए हुर्रियत कॉफ्रेंस के नरमपंथी धड़े 31 अक्टूबर को बंद करने की सबसे अपील की हैं।
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