Karwa Chauth Vrat 2020 करवा चौथ का व्रत महिलाये पति की लम्बी उम्र के लिए रखती हैं, लेकिन भारत में एक ऐसी जगह हैं, पर करवा चौथ का व्रत रखने पर पति की जान को खतरा होता हैं। इसलिए वहाँ पर महिलाये करवा चौथ का व्रत नहीं करती हैं।
विस्तार-
Karwa Chauth Vrat 2020 में 4 नवंबर को पड़ रहा हैं, इस दिन महिलाये अपनी पति की लम्बी उम्र की कामना करने के लिए पूरे दिन निर्जला व्रत रखती हैं। और रात में चाँद निकलने पर पति के हाथो पानी पीकर अपना व्रत खोलती हैं। और अपने पति की लंबी उम्र की दुआ माँगती हैं। लेकिन भारत में एक ऐसी जगह हैं महिलाये करवा चौथ व्रत करना तो दूर इसे पवित्र तक नहीं मानती हैं। अगर वो करवा चौथ का व्रत करती हैं तो उनके पति की जान को खतरा हो जाता हैं।
कहाँ हैं, वो जगह-
करवा चौथ का व्रत करना जहाँ पर महिलाये अपवित्र मानती हैं तथा अगर वो करवा चौथ का व्रत करती है तो उनके पति की जान पर खतरा आ जाता हैं। ये जगह हैं उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले में सुरीर कस्बा मांट तहसील में यहाँ पर एक मोहल्ले की औरते करवा चौथ का व्रत नहीं रख सकती हैं।
क्यो नहीं कर सकती औरते यहाँ करवा चौथ व्रत-
उत्तर प्रदेश के मथुरा के सुरीर के मोहल्ला वघा में ठाकुर समाज की औरते करवा चौथ का व्रत नहीं करती हैं यहाँ पर करवा चौथ व्रत और अहोई अष्टमी का त्योहार करने पर रोक हैं। यहाँ पर इसलिए बंधिस लगी हुई हैं क्योकि मान्यता हैं, कि यहाँ सती का श्राप लगा हुआ हैं। अगर औरते करवा चौथ का व्रत करती है तो उनके पति की जान पर खतरा बन जाता हैं। Karwa Chauth Vrat 2020
इस मान्यता से के पीछे की कहानी-
मथुरा के थाना सुरीर के कस्बा में एक ऐसा मोहल्ला हैं जहाँ पर नौहझील के गाँव रामनगला गाँव का एक ब्राह्मण युवक यमुना पार स्थित अपनी ससुराल से अपनी नवविवाहिता पत्नी को विदा करा कर सुरीर के सास्ते भैंस बुग्गी से आ रहा था। तो रास्ते में सुरीर के कुछ लोगो ने बुग्गी में चल कर आ रहे भैसे पर विवाद कर रहा था।
इसी विवाद के चलते इस गाँव के लोगो के हाथों रामनगला के इस युवक की हत्या हो गयी। बताया जाता हैं कि उस दिन करवा चौथ का दिन था। अपने पति की मौत से अघात पत्नी ने वहाँ के लोगो को श्राप दिया कि अगर कोई भी महिला पति के लिए व्रत रखेगी, तो उसके पति की जान चली जायेगी।
क्या हुआ श्राप के बाद-
बताया जाता हैं, कि ब्राह्मण की स्त्री ने अपने पति को अपनी आँखे के आगे मृत्य देखकर क्रोधित होकर उस नवविवाहिता ने इस मोहल्ले की औरतो को श्राप दे दिया कि जैसे मैैं अपने पति के साथ सती हो रही हैं वैसे ही यहाँ पर कोई भी महिला ऐसे सज-धज कर श्रृगांर करके अपने पति के सामने नहीं रह सकती हैं।
इसके बाद वहाँ पर कई महिलाये विधवा हो गयी जिसके बाद वहाँ के बुजुर्गो ने इसे सती का श्राप समझते हुए उनकी पूजा-अर्चना करने लगे और उनके लिए एक मंदिर का निर्माण करा उन सति से श्रमा माँगे।
बताया जाता हैं, कि क्षमा याचना करने पर उस जगह पर मौत की संख्या भले ही कम हो गयी हो लेकिन वहाँ पर उस मोहल्ले की औरते आज भी करवा चौथ का व्रत नहीं रखती हैं और ना ही पति के सामने सोलह श्रृंगार करके अपने पति के सामने आती हैं।
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