कृषि कानून के विरोध में चल रहा आंदोलन अब रुकने का नाम नहीं ले रहा। सरकार और किसान दल कोई पीछे हटने को तैयार नहीं। ऐसे में कई किसान दलों का मानना सरकार इस आंदोलन को हर तरह से ख़त्म करने की कोशिश कर रही है। किसान नेताओ का कहना है की प्रधानमंत्री मोदी और बीजेपी के अन्य बड़े नेता देश भर में किसान पंचायत कर उन्हें बरगला रहे। और आंदोलन को ख़त्म करने की साजिश कर रहे है।
सरकार पर धोखे का लगाया आरोप -
कृषि कानून के विरोध में जो किसान दल है उनका कहना है की सरकार लोगो को भ्रमित कर रही है। सरकार देश के एग्रीकल्चरल सेक्टर का कोर्परेटाइजेसन करना चाहती है। जो की देश के लिए अच्छा नहीं है। हलाकि इस आंदोलन को चलते हुए 24 दिन हो चुके है। पर किसान पीछे हटने को तैयार नहीं।
अडानी अम्बानी के पक्ष में ये कानून -
कृषि नेताओ का कहना है की इस कानून से किसानो का नुकसान और अम्बानी अडानी के हाथो में देश का पूरा अनाज चला जायेगा। हरियाणा किसान यूनियन के नेता हरिनाम सिंह चढूनी ने एक मीडिया चैनल से बात करते हुए यह भी कहा की पीएम मोदी और अमित शाह इस कानून के जरिये देश का सभी अनाज और जमीन अडानी और अम्बानी को देना चाहते है। जो की देश को भुखमरी की हालत में ले जायेगा। उनका कहना है की सरकार का इस कानून को हितकारी बताना वैसा ही है जैसे नोटबंदी के लिए कहा था।
NDA घटक दलों के नेताओ ने दिया इस्तीफा -
इस आंदोलन के पक्ष में NDA के कई सहयोगी दलों के नेताओ ने इस्तीफा दिया। जिसमे हरसिमरत कौर का नाम शामिल है। हालही में NDA सहयोगी दल राष्ट्रीय लोकतान्त्रिक दल के अध्यक्ष हनुमान बेनीवाल ने भी इस्तीफा दे दिया। वही कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने किसान नेताओ के नाम लिखी 8 पन्नो की चिठ्ठी। दिल्ली के मुख्या मंत्री अरविन्द केजरीवाल ने विधानसभा में कृषि बिल की प्रतिलिपि फाड़ दी।
देश के कई अन्य हिस्सों से निकलकर कई किसान दल दिल्ली के बॉर्डर की मोर्चा बंदी करने शनिवार को अपने वाहनों से जाते दिखाई पड़े। कृषि नेता राकेश टिकैत का कहना है। की पुलिस पश्चिमी उत्तरप्रदेश और अन्य जगहों से आने वाले किसानो के वाहनों को आगे बढ़ने से रोक रही। ऐसे में वो दिल्ली मेरठ एक्सप्रेस वे को बंद कर देंगे। किसानो का यह भी कहना है की वो 26 जनवरी को राजपथ पर ट्रैक्टर चला कर उसे किसान पथ बनाएंगे।
आंदोलन का ध्रुवीकरण करने का आरोप -
वही कई दलों की माने तो सरकार देश भर के कई जगहों पर किसान सभा लगा कर किसानो बरगला रही। वही हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर का इस समय SYL का मुद्दा उठाना भी सरकार की एक साजिश है। जिससे हरियाणा और पंजाब के बीच तनाव की स्तिथि पैदा हो जाये। SYL का मुद्दा हरियाणा और पंजाब के बीच संघर्ष का एक कारण ह।
सरकार और पीएम मोदी ने संवाद पर जोर दिया -
वही सरकार के मंत्रियों और प्रधान मंत्री मोदी ने अपने कई भाषणों में किसान नेताओ से बात करने का आग्रह किया। सरकार ने इस आंदोलन को विपक्ष की एक साजिश बताया। और किसानो को भड़काने का षड्यंत्र बताया।
हलाकि की जिस तरह से ये आंदोलन आगे बढ़ रहा है ऐसे में सरकार की मुश्किलें आसानी से ख़त्म होती नजर नहीं आ रही। हरियाणा में किसानो ने टेंट उखाड़ कर भाजपा के मंच पर कब्ज़ा कर लिया। कई मीडिया पत्रकारों को धरना स्थल से भगाया गया। मीडिया को सत्ता का गुलाम बताया जा रहा है। धरना स्थल से जी मीडिया, रिपब्लिक भारत और अन्य कई चैनल्स के पत्रकारों को गोदी मीडिया कहकर भगाया जा रहा है।
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