कृष्णजन्मभूमि को लेकर आज मथुरा कोर्ट में मस्जिद हटाने की याचिका स्वीकार कर ली गयी हैं। लेकिन मस्जिद हटाने पर अगली सुनवाई की तारीख मथुरा कोर्ट में 19 नवंबर दी गयी हैं। इससे पहले डिस्टिक कोर्ट में यह याचिका खारिज की जा चुकी गयी हैं।
विस्तार-
कृष्णजन्मभूमि के पास बनी के पास बनी ईदगाह मस्जिद हटाने को लेकर इससे पहले याचिका अक्टूबर की शुरूआत में ही एक डिस्टिक कोर्ट में दी गयी थी। जिसमें इसको अस्वीकार कर दिया गया था। जिसके बाद इसके खिलाफ याचिका मथुरा कोर्ट में दाखिल की गयी। और आज मथुरा कोर्ट में इस याचिका को स्वीकार कर लिया गया हैं। और मस्जिद को हटाने को लेकर याचिका पर सुनावायी की तारीख 18 नवंबर दी गयी हैं। इसका फैसला डिस्ट्रिक्ट जज साधना रानी ठाकुर ने सुनाया हैं।
यह याचिका इस लिये कोर्ट में दायर की गयी हैं, कि लोगो का कहना हैं, कि जैसे अयोध्या में रामजन्मभूमि को तोड़कर वहाँ पर बाबरी मस्जिद बनायी गयी थी। वैसे ही मथुरा यानि जहाँ भगवान श्रीकृष्ण की जन्मस्थली हैं, वहाँ पर भी उनके वास्तविक जन्म के स्थान पर मस्जिद बना दिया गया हैं। जिसको लेकर मथुरा कोर्ट में कृष्णजन्मभूमि को लेकर याचिका दायर की गयी हैं।
क्यो की जा रही हैं, मस्जिद तोड़ने की माँग-
रामजन्मभूमि के बाद अब लोगो की यह माँग हैं, कि भगवान श्रीकृृष्ण की जन्मस्थली की जगह बनी हुई ईदगाँह मस्जिद को भी तोड़कर उसकी जगह भगवान श्रीकृष्ण की जन्मस्थली बननी चाहिए।
आपको बता दे कि इतिहास में मथुरा में स्थित श्रीकृष्ण की जन्मभूमि कई बार बनी और कई बार टूटी भी हैं। इतिहासकारो का मानना हैं, कि 17वी शताब्दी में औरंगजेब ने मथुरा में श्रीकृष्ण की जन्मभूमि को तुड़वा कर उसके एक हिस्से में ईदगाह मस्जिद का निर्माण कराया था। और उसने मस्जिद का निर्माण ठीक उसी जगह करवाया था जहाँ भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था।
क्या कहना हैं, इसपर मस्जिद ट्रस्ट के अध्यक्ष जेड हसन का-
कृष्णजन्मभूमि और ईदगाँह मस्जिद को लेकर मस्जिद ट्रस्ट का कहना हैं, कि ये भूमि विवादित नहीं हैं, क्योकि 12 अक्टूबर 1968 को शाही ईदगाह मस्जिद और श्री कृष्णजन्मभूमि सेवा संस्थान के बीच एक समझौता हो चुका हैं। इस समझौते के बाद मन्दिर की कुछ जमीने मस्जिद के लिए खाली की गयी थी।लेकिन कृष्णजन्मभूमि न्यास ट्रस्ट के सचिव कपिल शर्मा को यह समझौता स्वीकार नहीं हैं।
क्योकि जब जन्माष्टमी के दिन मंदिर पर काफी ज्यादा भीड़ हो जाती हैं, जिसकी वजह से श्रद्धालुओं को मस्जिद की तरफ से निकलना पड़ता हैं। और नमाजी लोग वही खड़े होकर नमाज पढ़ते हैं। मथुरा प्रशासन द्वारा भड़काऊ गतिविधियों की वजह से आचार्य मुरारी बापू के खिलाफ धार्मिक उन्माद भड़काने का मामला भी दर्ज किया गया हैं। उनके साथ-साथ 13 अन्य लोगो पर भी मुकदमा दर्ज किया गया हैं।
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