चलिए हम आपको इसके बारे में विस्तार से बताते हैं। मैंग्नेटिक सड़क की कहानी
भारत में बहुत ऐसी रहस्यमयी जगहें जिसके बारे में अभी तक वैज्ञानिक भी पता नहीँ लगा पाये हैं। हम आज आपको एक ऐसी ही जगह के बारे बताने जा रहे हैं, जहाँ पर बिना पैट्रोल के ही गाड़िया चलने लगती हैं। यह जगह हिमालय की वादियों में स्थित हैं, इसको लोग चुम्बकीय सड़क के नाम से भी जानते हैं। इन्ही कारणों की वजह से यहाँ रहने वाले लोगो के बीच पॉपुलर टूरिस्ट स्पॉट बन चुका हैं।
मैंग्नेटिक सड़क -
लद्दाख के लेह से करीब 30 किलोमीटर की दूरी पर कारगिल की तरफ चलने पर एक छोटा सा पहाड़ी रास्ता पड़ता हैं। जहां पर बंद गाड़िया भी अपने आप चलने लगती हैं। बताते हैं, अगर रात में कोई भी अपनी गाड़ियों को खड़ी कर दे तो सुबह गाड़िया अपने यथास्थान पर नहीं दिखेंगी।
आपको बता दे कि गाड़िया यहाँ 20 किलोमीटर की रफ्तार से अपने आप ही पहाड़ी पर चढ़ने लगती हैं। इसलिए इसे मैग्नेटिक हिल के नाम से भी जाना जाता हैं। इस मैग्नेटिक हिल को ग्रेविटी हिल के नाम से भी जाना जाता हैं। इसकी ऊँचाई समुद्र तल से लगभग 11 हजार किलोमीटर पर हैं।
ना केवल गाड़िया विमानो पर भी इसका असर दिखायी देता हैं -
आपको बता दे कि इस सड़क पर गाड़िया तो अपने आप चलने ही लगती हैं। लेकिन आसमान में उड़ने वाले विमानो भी इसके असर से बच नहीं पाते हैं। इसके बारे में खुद भारतीय वायुसेना के पॉयलट खुलासा करते हैं। बता दे कि भारतीय सेना के पॉयलटो का कहना हैं, कि जबभी वायुयान उस सड़क के ऊपर से गुजरती हैं। तो विमान में अपने आप चुम्बकीय शक्ति का एहसास होता हैं। ऐसा लगता हैं कोई चीज उन्हे अपनी ओर आकर्षित कर रही हो। जिसकी वजह से उन्हें अजीब तरह के झटको का भी सामना करना पड़ता हैं।
गुरूत्वाकर्षण नियम भी फेल है, इस पहाड़ी पर -
यह भी कहा जाता हैं कि इस पहाड़ी पर गुरत्वाकर्षण का नियम भी फेल हो जाता हैं। बता दे कि गुरत्वाकर्षण का नियम हैं कि अगर कोई भी चीज ढ़लान के ऊपर से अपने आप ही नीचे की ओर ऊतरने लगती हैं, लेकिन यहाँ पर ऐसा बिल्कुल भी नहीं हैं। यहाँ पर गाड़ियाँ नीचे उतरने की जगह अपने आप पहाड़ पर चढ़ने लगती हैं। यहाँ पर पानी या किसी तरल पर्दाथ को भी यदि गिराते हैं तो वो नीचे की तरफ ना जाकर ऊपर की तरफ बहने लगती हैं।
क्या कहना हैं, इसपर वैज्ञानिको का -
मैंग्नेटिक सड़क की कहानी पर वैज्ञानिक का कहना हैं, कि इस पहाड़ी की बनावट इस प्रकार से है, कि इसका जो सबसे ऊपरी हिस्सा हैं,वो सबसे नीचला हिस्सा हैं, जबकि जो सबसे निचला हिस्सा हैं, वो ऊपरी हिस्सा हैं। इसलिए यहाँ पर गाड़िया अपने आप ऊपर की ओर चढ़ने लगती हैं। जबकि वो ऊपर नहीं ढ़लान के नीचे उतरती हैं। वैज्ञानिकों का कहना हैं, कि दृष्टिभ्रम हैं, जिसमें चीजे दिखती जैसी हैं होती वैसी नहीं हैं। और पहाड़ियों की रचना भी कुछ ऐसी होती हैं। कि वहाँ पर चीजे जैसी दिखती हैं, वास्तविक में वैसी होती नहीँ हैं।
वैज्ञानिको ने अपने-अपने हिसाब से तर्क दिये हैं। लेकिन आज तक इसका रहस्य कोई पता नहीं लगा पाया हैं। कि वास्तविक में ऐसा क्यों होता है, ये आज भी एक रहस्य बना हुआ हैं। आपको बता दे कि ये सिर्फ भारत में ही नहीं दुनिया में लगभग ऐसे 30 जगहे हैं। जहाँ पर चुम्बकीय शक्ति का एहसास किया जा सकता हैं।
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