Marburg Virus Disease / Marburg Virus in Hindi / अफ्रीका के इक्वेटोरियल गिनी में मारबर्ग वायरस इस समय कहर ढ़ा रहा हैं। वहाँ पर अभी तक इस वायरस से 9 लोगो की मौत हो चुकी है। ये वायरस कितना खतरनाक हैं और भारत में इसका कितना प्रभाव देखने को मिल सकता हैं। चलिए हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से बताते हैं।
Marburg Virus Disease in Hindi-
विश्व स्वास्थ्य संगठन यानि WHO ने इस वायरस से प्रभावित क्षेत्रो में अपातकाल विशेषज्ञों व संक्रमण को रोकने वाली टीमो की तैनाती की हैं। आपातकालीन बैठक की हैं। और कहा हैं कि इससे 9 लोगो की मौते हो चुकी हैं। 16 संदिग्ध मामले सामने आए हैं। जिसके सैम्पल की जाँच के लिए भेजा गया हैं।
मारबर्ग वायरल के लक्षण-
इस संक्रमण का लक्षण 2 से 21 दिन में दिखने लगता हैं। इससे ग्रसित व्यक्ति को तेज बुखार व सिरदर्द तथा इसका सबसे प्रमुख लक्षण हैं। मरीज की मांसपेशियों में दर्द, डायरिया, पेट में दर्द, ऐंठन व उल्टी जैसे लक्षण दिखायी देते हैं। मरीज काफी थकान महसूस करता हैं।
डब्लूएचओ का कहना हैं कि गंभीर हालत में मरीज के मल, नाक व जबड़े से खून आ सकता हैं। इस वायरस से नर्वस सिस्टम प्रभावित होता हैं। जिसकी वजह से मरीज की मानसिक स्थिति बिगड़ सकती हैं। और ज्यादा गुस्सा आ सकता हैं। शरीर में ब्लड की कमी आ जाती हैं।
मारबर्ग कितना खतरनाक हैं-
WHO के अनुसार मारबर्ग वायरस के कारण होने वाली बीमारी हैं। इसकी वजह से मरीज को तेज बुखार आता हैं। इसलिए मारबर्ग को हेमोग्राफिक फीवर भी कहा जाता हैं। औसतन इस बीमारी से मौत का खतरा 50 फीसदी तक रहता हैं। यदि मरीज गंभीर स्थिति में हैं। तो ये खतरा 88 फीसदी तक पहुँच जाता हैं। इसको काफी हद तक इबोला वायरस की तरह बताया गया हैं।
ये वायरस चमगादड़ के जरिए इंसानो तक पहुँचता हैं। फिर इंसानो से इंसानों में फैलता हैं। इस वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए सबसे पहले मनुष्य में पानी की कमी को रोकते हैं।
संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से ये वायरस फैलता हैं। इसी पहचान 1967 में की गई थी।