Masan Holi 2023 / Bhasma Holi 2023 / वाराणसी में होली के पहले मसान होली खेली जाती हैं, इस होली में देश-विदेश से लोग देखने आते हैं। कहा जाता हैं कि मर्णिकर्णिका घाटा पर बाबा अपने गणों के साथ चिता भस्म की होली खेलते हैं। जिसे मसान होली, भस्म होली व भभूत होली के नाम से भी जाना जाता हैं। इस बार यह होली आज यानि 4 मार्च 2023 को खेली जा रही हैं।
Masan Holi 2023 Or Bhasma Hoil ( भस्म होली क्यो मनाई जाती हैं) -
हिदु धर्म शास्त्रों कि माने तो होली के इस उत्सव में बाबा विश्वनाथ की नगरी में भस्म होली के दौरान देवी, देवता, यक्ष, गन्धर्व सभी शामिल होते हैं। और भगवान, भोलेनाथ के प्रिय गण यानि भूत-पिचाश या प्रेतात्माएं खुद इंसाने के बीच जाने से रोकते हैं। कहा जाता हैं कि अपने गणों के लिए भगवान भोलेनाथ उनके बीच होली खेलने के लिए घाट पर आते हैं। इसीलिए ऐसा कहा जाता हैं कि चिता की राख से होली खेलने मसान आते हैं।
कैसे खेली जाती हैं मसान होली-
- चिता भस्म होली काशी के मर्णिकर्णिका घाट पर जलती चिताओं के बीच खेली जाती हैं।
- इस आयोजन में सबसे पहले बाबा महाश्मशान नाथ व माता मशान काली की मध्यान्ह्र आरती की जाती हैं।
- इसके बाद में कहा जाता हैं कि बाबा व माता को चिता भस्म व गुलाल चढ़ाया जाता हैं।
- फिर बाद में चिता भस्म होली प्रारंभ होती हैं।
- ऐसा कहा जाता हैं कि दोपहर के समय बाबा विश्वनाथ दोपहर के समय मर्णिकर्णिका घाट पर स्नान के लिए आते हैं।
राजा डोम कौन हैं-
आपको भारत में देशभर में कई राजा जीवित रहते मिल सकते हैं। पर मरने के बाद का राजा आपको सिर्फ बनारस में ही मिलेगा। एक ऐसा राजा जिसका जीवन मुर्दे से शुरू हो मुर्दे पर ही खत्म होता हैं। वो हैं बनारस के डोम राजा की। डोम राजा का जलवा 1966 के बाद जब रजवाड़े खत्म हो गए उसके बाद भी जारी रहा था। काशी के डोम राजा मुर्दों का अंतिम संस्कार करते हैं व करवाते हैं। उनकी अखण्ड अग्नि से ही मुक्ति का मार्ग खुल जाता हैं। इसलिए काशी के महाश्मशान में सिर्फ डोम नाम सत्य हैं। इन्हें आप धरती का यमराज भी कह सकते हैं।
डोम राजा आम लोगो से ज्यादा मिलते नहीं हैं। ये भीड़-भाड़ की जगह नहीं एकान्त में रहना पसंद करते हैं। डोम राजा का घर मान मंदिर व त्रिपुरा भैरवी घाट के बीच में हैं। इनके घर के ऊपर दो शेर की मूर्ति हैं। बनारस में अपने दरवाजे पर शेर लगाने का दो ही लोगो अधिकार था। एक काशी नरेश व दूसरे डोम राजा
काशी का एक दूसरा नाम हैं, महाश्मशान और महाश्मशान का राजा केवल डोम ही हो सकता हैं। काशी दुनिया का एकलौता ऐसा शहर हैं जो श्मशान के बीच बसा हैं।
डोम राजा से जुड़ी कई सारी कहानियाँ हैं-
पहली ंंमान्यता-
डोमराजा बनने की कई मान्यता हैं। कहा जाता हैं कि पौरणिक मान्यता के अनुसार एक बार भगवान शिव व माता पार्वती काशी आए, उन्होने मणिकर्णिका घाट के पास स्न्नान किया स्न्नान करते समय माता पार्वती के कान का कुंडल गिर गया। इसीलिए इसे मर्णिकर्णिका कहा जाता हैं। उस कुंडल को कालू नाम के एक ब्राह्णण ने चुरा लिया। सच्चाई ना बताए जाने पर भगवान शिव ने क्रोधित होकर उसे नष्ट होने का श्राप दे दिया। सच्चाई जानने के बाद उसने क्षमा मांगा तब भगवान शिव ने श्राप वापस लेते हुए उसे श्मशान में चांडाल कर्म में लगा दिया हैं। और कालू पंडित को डोम राजा की उपाधि दे दी।
दूसरी कहानी राजा हरिश्चन्द्र से जुडी हैं। जिसके बारे में शायद हो कोई जानता हैं।