शारदीय नवरात्रि 2020 का आज सतवां दिन हैं और आज माँ की सप्तम स्वरूप माँ कालरात्रि की पूजा होती हैं, माँ पार्वती ने यह स्वरूप दैत्यों का विनाश करने के लिए लिया था। भक्तो के लिए माँ का यह स्वरूप बहुत शुभकारी हैं, इसलिए माँ कालरात्रि का एक अन्य नाम शुभकरी भी हैं। माँ कालरात्रि की कथा
माँ कालरात्रि से जुड़ी कथा-
दुर्गा सप्तसती पाठ में माँ के सारे स्वरूपो का वर्णन किया गया हैं, इसी में बताया गया हैं, कि माँ पार्वती ने माँ कालरात्रि का स्वरूप क्यो धारण किया था। कथा के अनुसार- जब संसार की रक्षा करने लिए माता और दैत्यों के बीच युद्ध हो रहा था, तब उसमें से एक दैत्य था जिसका नाम रक्तबीज था, जिसको यह वरदान प्राप्त था कि यदि उसके शरीर से एक भी रक्त की बूद भूमि पर गिरेगी तो उसी के समान दूसरा महादैत्य फिर से जन्म ले लेगा। जिसकी वजह से उस दैत्य पर माँ के जिस स्वरूप द्वारा हमला किया जाता था तो उसके शरीर से रक्त की जितनी भी बूंदे धरती पर गिरती थी तो उसी के समान एक अन्य दैत्य उसी की तरह शक्तिशाही उत्पन्न हो जाता था। इस दृष्य को देखकर सारे देवगण व गधर्व काफी भयभीत हो गये । जिसके बाद वो लोग भगवान शिव के पास गये भगवान शिव ने कहा इस दैत्य का वध माता पार्वती ही कर सकती हैं।
जिसके बाद सारे देवता माँ पार्वती के पास और माँ की अराधना करने लगे, जिसके फलस्वरूप माँ पार्वती के ही शरीर से माँ कालरात्री की उत्पत्ति हुई माँ कालरात्रि का यह स्वरूप अधंकार के समान काला था। देवता के द्वारा अनुरोध करने पर माँ रणभूमि में दैत्य रक्तबीज से युद्ध करने लगी। जैसे ही रक्तबीज के शरीर से रक्त की एक भी बूद गिरती थी माँ उसे अपने मुख में भर लेती थी। जिसके कारण उस दैत्य के शरीर से सारा रक्त गिर जाने के कारण उसकी सारी शक्ति क्षीण हो गयी और वह धरती पर गिर गया और उसकी मृत्यु हो गयी।
जिसके बाद पूरे युद्वभूमि में माँ कालरात्रि और माँ के अन्य स्वरूपो की देवता और गंधर्वो द्वारा जय-जयकार करने लगे। माँ का यह स्वरूप जितना ही विकराल हैं, उतना ही माँ के भक्तो के लिए शुभकारी हैं, माँ बहुत ही दयालु हैं। और अपने भक्तो को हर एक प्रकार की विपत्ति से बचाती हैं और उनकी रक्षा करती हैं।
माँ कालरात्रि का वाहन गधा हैं-
माँ कालरात्रि का वाहन गधा हैं, जो संसार में सबसे ज्यादा मेहनती हैं। माँ अपने वाहन के साथ पूरे धरती का विचरण करती हैं, और अपने भक्तो की रक्षा करती हैं और माँ अपने भक्तो को होने वाले अकाल मृत्यु से भी बचाती हैं। माँ कालरात्रि की कथा
माँ कालरात्रि के अनेक नाम हैं-
माँ कालरात्रि को अनेक नामों से पुकारा जाता हैं, उसमें से माँ कालरात्रि के कुछ नाम
1.काली 2. भद्रकाली 3. महाकाली 4. रूद्रानी 5. रौद्री 6. धुमोरना 7. चामुंडा 8. भैरवी 9. शभकारी आदि माँ के अनके नाम हैं।
माँ कालरात्रि के मंत्र-
माँ कालरात्रि की स्तुति करने के लिए इन मंत्रो का उच्चारण किया जाता हैं-
1.ऊं ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायेै विच्चेै ऊं कालरात्रि दैव्ये नम:
2. ऊँ कालरात्र्येै नम:
3. ऊँ ऐं सर्वाप्रशमनं त्रैलोक्यस्या अखिलेश्र्वरी।
एवमेव त्वथा कार्यस्मद् वैरिविनाशनम् नमो सें ऐं ऊँ।।
4. ऊँ ह्रीं श्रीं क्लीं दुर्गति नाशिन्यै महामायायेै स्वाहा।
5.ऊँ फट् शत्रून साघय घातय ऊँ
माँ कालरात्रि को प्रसाद के रूप में आज गुड़ का भोग लगाना चाहिए। और रातरानी के पुष्पो को माँ को अर्पित करना चाहिए। इससे माँ अपने भक्तो पर प्रसन्न होती हैं और उनकी हर एक मनोकामना पूर्ण करती हैं।
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