Nepal Plane Crash / नेपाल विमान हादसे ने ना केवल भारत ही पूरी दुनिया का दिल दहला दिया हैं। नेपाल विमान हादसे में कुल 68 लोग सवार थे। जिसमें से 5 भारतीय व 14 विदेशी नागरिक शामिल थे। विमान हादसे के तुरंत बाद रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया जिसमें कुल 42 शव बरामद किए जा चुके हैं। इसके लिए नेपाल में इमरजेंसी मीटिंग बुलाई गई हैं। लेकिन क्या आपको पता हैं कि ये नेपाल में कोई पहली बार नहीं हुआ हैं। जब विमान हादसा हुआ हो। नेपाल में इससे पहले कई बार विराम हादसा हो चुका हैं।
Nepal Plane Crash (क्यो होता हैं नेपाल में इतना विमान हादसा)-
एविएशन सेफ्टी डाटा बेस की रिपोर्ट के मुताबिक, नेपाल में पिछले 30 सालों में 27 विमान दुर्घटनाएं हुई हैं। जिसमें से 20 हादसे दो पिछले एक दो दशक में ही हुए हैं। नेपाल में होने वाले विमान हादसो के पीछे की वजह हैं। वहाँ कि उबड़-खाबड़ इलाके, पर्वतीय क्षेत्र जहाँ के मौसम में अचानक बदलाव हो जाता हैं। जिसकी वजह से यहाँ पर विमान हादसे होते हैं। इसके अलावा यहाँ की विमानों के लिए बुनियादी ढांचे और उस क्षेत्र को बेहतर बनाने के लिए निवेश की कमी हैं। तथा साथ ही यहाँ प्रशिक्षित एविएशन स्टाफ की कमी हैं। जितने चाहिए उतने नहीं स्टाफ नहीं हैं।
2013 में नेपाल विमान पर लगी रोक-
सूत्रो कि माने तो नेपाल में 2013 में यूरोपीय संघ द्वारा चिंताओं का हवाला देते हुए उड़ान पर रोक लगा दी गई थी। खराब एविएशन रिकॉर्ड को देखते हुए यूरोपीय कमीशन ने नेपाली एयरलाइंस पर 28 देशों के विमान उड़ान पर रोक लगाया जा चुका हैं।
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नेपाल में किस जगह होती सबसे ज्यादा दुर्घटना-
रिपोर्टस कि माने तो नेपाल के काठमांडू के त्रिभुवन अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर सबसे ज्यादा दुर्घटना होती हैं। एक संकीर्ण अंडाकार आकार की बनी हुई एक घाटी हैं। समुद्र तल से इसकी ऊचाँई 13,38 हैं। फाइनेंशियल एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, अधिकांश पायलटों का कहना है कि खड़ी और संकरी हवाई पट्टी होने के यहां विमान को नेविगेट करना कठिन होता हैं। जिसकी वजह से यहाँ पर बड़े विमान उड़ाना खतरे से खाली नहीं हैं।