प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि में बहुत बड़ा घोटाला सामने आया है। जिसकी जानकारी तमिलनाडु सरकार ने दी। यह घोटाला लगभग 110 करोड़ से भी अधिक का बताया जा रहा है। इस घोटाले में सरकारी अधिकारी और स्थानीय राजनेता शामिल है। प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के तहत कुछ ऐसे भी लोग शामिल थे जो इसके लायक भी न होते हुए इसका लाभ उठा रहे थे।
तमिलनाडु सरकार ने बताया कि जो गरीबो को लाभ पहुंचने वाली प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना में 110 करोड़ से अधिक घोटाले को उजागर किया है। जाँच होने पर पाया गया कि हेरा फेरी करके 110 करोड़ रुपये से अधिक राशि का भुगतान ऑनलाइन किया गया है। और यह भी बताया कि इस घोटाले में सरकारी अधिकारी और स्थानीय राजनेताओ के सहयोग से किया गया है। जागरूक हिन्दुस्तान के अनुसार अभी तक इस मामले में 18 लोगो को अरेस्ट किया गया है।
आरोपियों के खिलाफ कार्यवाही -
प्रमुख सचिव गगनदीप सिंह बेदी ने बताया कि उन्होने पहली बार अगस्त में जाँच कि तो पाया गया कि इस योजना में असामान्य रूप से लाभार्थियों कि संख्या में बढ़ोत्तरी पायी गयी। ये बड़ी हुयी संख्या 13 जिलों में पायी गयी। बेदी ने बताया कि इसमें शामिल 18 लोगो को, एजेंट या दलाल थे उन सभी को गिरफ्तार कर लिया गया है। इसके साथ ही एग्रीकल्चर योजना से जुड़े 18 अधिकारियो को तो बर्खास्त कर दिया गया है और 34 अधिकारियो को निलंबित किया गया। साथ में ये भी बताया कि जितने निलंबित अधिकारी है उनमे से तीन कृषि विभाग के सहायक निदेशक शामिल है।
कैसे घोटाला आया सामने -
जब प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना कि जाँच में पता चला कि एग्रीकल्चर विभाग के अधिकारियों ने ऑनलाइन आवेदन अनुमोदन प्रणाली का प्रयोग किया था। और इसके साथ ही जो इस योजना के लायक नहीं थे उनको भी इस योजना में जोड़ा गया था। मॉडस ऑपरेंडी में सरकारी अधिकारी शामिल थे। जो नए फर्जी लाभार्थियों में जुड़ने वाले दलालो को लॉगिन और पासवर्ड प्रदान करते थे और उन्हें 2000 रूपये देते थे।
सरकार ने कार्यवाही में तेजी दिखाया -
लेकिन सरकार ने 110 करोड़ के घोटाले में से 32 करोड़ कि वसूली कर ली है। तमिलनाडु सरकार ने दावा करते हुए कहा कि बाकि कि बची हुयी राशि को अगले 40 दिनों में वापस ले आएगी। जिन जिलों में घोटाले हुए उनका नाम श्रेणीबद्ध इस प्रकार है, कल्लाकुरिचि, विल्लुपुरम, कुड्डलोर, तिरुवन्नमलाई, वेल्लोर, रानीपेट, सलेम, धर्मपुरी, कृष्णगिरि और चिंगलपेट है। ज्यादातर नए लाभार्थी इस योजना से अनजान थे या इस योजना में शामिल नहीं हो पा रहे थे।
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