अयोध्या राम मंदिर भूमि पूजन से जुडी जानकारी। राम जन्मभूमि पर सुप्रीमकोर्ट का फैसला 9 नवम्बर 2019 को आ चुका है। यह फैसला राम जन्मभूमि के पक्ष में आया हैं। जिसकी वजह से भव्य राम मंदिर का निर्माण कार्य शुरू कर दिया गया है। इससे पहले भी राम जन्म -भूमि तीर्थ ट्रस्ट का गठन किया गया हैं। इस ट्रस्ट में कुल 15 सदस्य है। जिसमें कुल 9 स्थायी सदस्य और 6 नामित सदस्य शामिल किये गए है। ट्रस्ट द्वारा स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया में एक खता भी खोला गया है।
अयोध्या राम मंदिर भूमि पूजन के लिए प्रधानमंत्री जी को आमंत्रित किया गया हैं। तथा उनके साथ-साथ उस आन्दोलन से जुड़े लोगो और साधु-सन्तों को भी आमन्त्रण भेजा गया हैं। पूरे भारत तथा भारत के बाहर रहने वाले लोगो के लिए कल का दिन ऐतिहासिक होगा।
अयोध्या राम मंदिर भूमि पूजन से पहले होगी हनुमानगढ़ी में पूजा -
राम नगरी से प्रसिद्ध अयोध्या में भगवान श्री राम के विशाल मंदिर के लिए 5 अगस्त को भूमि पूजन एवं शिलान्याश के पहले अयोध्या में स्थित हनुमानगढ़ी मंदिर में पूजा की जाएगी। बताया जा रहा हैं, कि हनुमानगढ़ी मंदिर में एक विशेष 'हनुमान निशान' है। जोकि सात सौ वर्ष पुराना है। यह निशान चार मीटर चौड़ा और आठ मीटर लम्बा ध्वज है। तथा यहाँ पर एक गदा और एक त्रिशूल भी है। जिसे अनुमानित 20 लोग हनुमानगढ़ी से राम जन्मभूमि स्थान पर ले जाते है। लेकिन इस कोरोना काल के संकट में सिर्फ हनुमानगढ़ी में ही पूजा की जाएगी लेकिन लाने ले जाने की प्रक्रिया पे रोक लगा दी गयी है। कोई भी शुभ कार्य अगर अयोध्या में होता है तो 'हनुमान निशान' की पूजा पहले की जाती है।
कब करेंगे प्रधानमंत्री भूमिपूजन -
अयोध्या राम मंदिर भूमि पूजन का समय 5 अगस्त बुधवार को प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी जी द्वारा निर्धारित शुभ मुहूर्त में होगा। और अयोध्या राम मंदिर भूमि पूजन का मुहूर्त 32 सेकंड का है। जो दोपहर 12 बजकर 44 मिनट 8 सेकेंड से लेकर 12 बजकर 44 मिनट 40 सेकंड के बीच है। इस समाहरोह के लिए आमंत्रित किये गए 175 लोगो में से रामजन्म-भूमि के आंदोलन में जुड़े लोग तथा 135 संत शामिल है। जो की विभिन्न आध्यात्मिक परम्पराओ का हिस्सा है। बताया जा रहा हैं, कि पूजा के समय पूजा स्थल पर सिर्फ पांच सदस्य उपस्थित रहेंगे जिनमे से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रीय महंत नृत्य गोपालदास महाराज, उत्तरप्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल और मुख्यामंत्री योगी आदित्य नाथ जी हैं।
कितने लोगो द्वारा राम-मन्दिर निर्माण कार्य में किया जा चुका हैं दान -
सूत्रो के अनुसार राम मंदिर में अभी तक सबसे बड़ा दान 2 करोड़ का आया है। जिसमें से अबतक पिछले पांच महीनो में लगभग 5 करोड़ रुपये का दान आ चुका है। जबकि पहले से ही दान में दिए गए कुल 10 करोड़ रुपये थे। उस फंड में मोरारी बापू ने 5 करोड़ रुपये दान में देने को कहा था। अबतक इस फंड में 18 करोड़ रुपये आ गए है। इसके साथ ही साथ चांदी की शिलाये भी क्विंटल भर से ज्यादा आ चुकी है और 500 से ज्यादा कुलश कारीगर यहाँ पहुंच चुके है। इसको देखते हुए ट्रस्ट ने उन लोगो से अपील की है की चांदी की ईंट देने के बजाए लोग रुपये ट्रस्ट के अकाउंट में डाले।
कैसा होगा राम-मन्दिर का नक्शा -
राम मन्दिर का नक्शा पहले बनाये जाने वाले राम-मन्दिर के डिजाइन से दोगुने बड़े आकार में होगा। मंदिर का नक्शा तैयार करने वाले आर्किटेक्ट ने बताया की राम जी के इस भव्य मंदिर को नागर शैली में बनाया जायेगा। जिसमे 5 गुंबद होंगे। जिसकी वजहस से यहां अधिक संख्या में श्रद्धालु दर्शन के लिए आ सकेंगे। पुराने राम मंदिर के मॉडल में बदलाव कर मंदिर के मुख्य शिखर की उचाई 128 फ़ीट से 161 फ़ीट कर दी गयी है। साथ ही तीन गुम्बद की जगह पे पांच गुम्बद कर दिए गए है। राम जन्म-भूमि के लिए जिस भूमि का चुनाव किया गया था उसमें से 67 एकड़ भूमि में से 2 एकड़ भूमि पर मंदिर का निर्माण किया जायेगा और बची हुयी 65 एकड़ भूमि पर राम मंदिर परिसर का विस्तार किया जायेगा। तथा राम- मंदिर में इस्तेमाल होने वाले पत्थर राजस्थान के बंशीपुर पहाड़पुर से आएगे। और जिसके बाद अयोध्या में तराशा जायेगा या तो इन पत्थरों को राजस्थान से तराश कर लाया जायेंगा।
किसने बनाया था राम-मन्दिर का मॉडल -
अयोध्या में बनने जा रहे राम-मन्दिर का मॉडल भारत के बहुत ही प्रसिद्ध आर्किटेक चंद्रकांता सोमपुरा जी ने बनाया था। बताया जाता हैं, कि इनको ये कार्य वीएचपी के पूर्व अध्यक्ष अशोक सिंघल जी ने दिया था। तथा उन्होने बताय कि मन्दिर का ये मॉडल अष्टकोणीय आकार में बनाया जायेगा क्योकि ये आकार भगवान विष्णु जो कि राम जी के अवतार हैं उनको बहुत ही प्रिय हैं।
कब तक बनकर तैयार होगा राम-मन्दिर -
ट्रस्ट के अध्यक्ष का कहना है, कि भगवान राम का ये मन्दिर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी द्वारा भूमि-पूजन के बाद बनना शुरू हो जायेगा तथा जितना जल्दी हो सकेगा मन्दिर का निर्माण कार्य पूरा होगा। उनका मानना हैं, कि मन्दिर 2022 तक राम नवमी के दिन तक बनकर तैयार हो सकता हैं। अयोध्या में बन सकता हैं, एक शहर जिसमें भगवान राम के जीवन की लीलाओं को दिखाया जायेगा। खबरों कि माने तो इस शहर का नाम केवट शहर रखा जायेगा।
राम-जन्मभूमि के निर्माण कार्य में भारत के कोने-कोने से नदियों तथा मंदिरों से जल लाया गया हैं। तथा जिनका उपयोग रामजन्म-भूमि के निर्माण कार्य में किया जायेगा। तथा बिहार के लोग राम जी को अपना दामाद मानते हैं। उन लोगो में राम-जन्मभूमि के पूजन कार्य को लेकर बहुत उत्सुकता हैं। वहाँ से भी लोग तरह-तरह की चीजे भगवान राम के लिए भेज रहे हैं।
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