Rani Kamalapati History; रानी कमलापति जिनके नाम पर भोपाल का पहला एयरकंडीशनर रेलवे स्टेशन बनाया गया हैं, इस स्टेशन का पहले नाम हबीबगंज था। आज प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने रानी कलमापति रेलवे स्टेशन का उद्धाटन किया हैं।
कौन थी Rani Kamalapati-
रानी कमलापति की शादी गिन्नौरगढ़ के गोंड राजा निजाम शाह थे। वे भोपाल में गोंड राज्य की अंतिम रानी थी। उनके पति राजा निजाम शाह की हत्या उनके ही रिश्तेदारों ने करवा दी थी | रानी कमलापति ने मोहम्मद खान की सहायता अपने पति की हत्या का बदला लेने के लिए लिया लेकिन मोहम्मद खान ने बाद में भोपाल पर कब्ज़ा कर लिया था।
History of Rani Kamalapati-
रानी कमलापति का जन्म सलकनपुर ( वर्तमान सीहोर जिला का एक हिस्सा) रियासत के राजा कृपाल सिंह रतौलिया के महल में हुआ था। वो कमल की तरह सुन्दर दिखती थी जिसके वजह से उस कन्या का नाम कमलापति रखा गया। कमलापति बचपन से ही बुद्धिमान और साहसी थीं |रानी कमलापति के बड़ा होने पर उनकी सुन्दरता की चर्चा चारो तरफ होने लगी थी।
कमलापति की शादी राजकुमार निज़ाम शाह के सांथ हुआ था। निजाम शाह के पिता गिन्नौरगढ़ के राजा सुराज सिंह शाह ( सलाम शाह ) थे। गिन्नौरगढ़ 750 गांवों से मिलकर बना राज्य था इनके अधिकार क्षेत्र में भोपाल भी आता था। राजा निजाम शाह की सात पत्नियाँ थी। उन्ही में एक थीं रानी कमलापति जो सभी रानियों में सबसे खुबसूरत थी। यही कारण थी कि रानी कमलापति राजा निजाम शाह को सबसे ज्यादा प्रिय थीं | राजा निज़ाम शाह ने भोपाल में रानी कमलापति के लिए सात मंजिला महल बनवाया था | राजा निजाम शाह और कमलापति को एक पुत्र था,जिसका नाम नवल शाह रखा गया |
उस समय बाड़ी में राजा निज़ाम शाह के भतीजे आलम शाह का राज्य था। आलम शाह अपने चाचा निज़ाम शाह के राज्य को हड़पना चाहता था इसके लिए वह कुछ न कुछ षडयंत्र रचना था | 1720 ईसवी के आस-पास आलम शाह ने धोखे से राजा निज़ाम शाह को जहर देकर उनकी हत्या कर दी | रानी कमलापति अपनी और अपने पुत्र नवल शाह की जान बचाने के लिए गिन्नौरगढ़ से भोपाल के कमलापति महल में आ गई थी।
रानी कमलापति की मद्द की मोहम्मद खान ने-
कहा जाता हैं कि राजा निजाम शाह की मृत्यु के बाद रानी चैन से नहीं रह पा रही थी। उन्होने राजा के मौत का बदला लेने के लिए दोस्त मोहम्मद खान से सहायता मांगी | इस समय मोहम्मद खान जगदीशपुर का शासक था जगदीशपुर पर कब्ज़ा करने के बाद उसने इसका नाम इस्लामनगर रख दिया था।
इतिहासकारो का कहना हैं कि मोहम्मद खान पहले मुग़ल सेनापति भी रह चुका था तथा कुछ इतिहासकारों के अनुसार वह अफगानिस्तान से आया था जो पैसे के बदले सैनिक सहायता प्रदान करता था। मोहम्मद खान ने रानी कमलापति के सहायता के लिए हामी भर दी परन्तु बदले में 1 लाख रूपये मांगे। रानी एक लाख रूपये देने के लिए तैयार हो गई। मोहम्मद खान ने बाड़ी के राजा आलम शाह पर हमला करके उसकी हत्या कर दी | इस प्रकार रानी कमलापति ने अपने पति की हत्या का बदला ले लिया।
रानी कमलापति ने मोहम्मद को एक लाख रूपये देने का वादा किया था जिसे वो पूरा नहीं कर पाई, बदले में रानी कमलापती ने मोहम्मद को भोपाल का एक हिस्सा दे दिया | कुछ इतिहासकारों का कहना हैं कि रानी कमलापति मोहम्मद को राखी बंधती थीं और उसे अपना भाई मानती थीं किन्तु मोहम्मद सम्पूर्ण भोपाल पर अपना अधिपत्य स्थापित करना चाहता था लेकिन कुछ वर्षों बाद ही भोपाल पर कब्जा करने के लिए रानी कमलापति के 14 वर्षीय पुत्र नवल शाह और मोहम्मद के बीच लड़ाई हुई। यह लड़ाई वर्तमान भोपाल के लाल घाटी में हुई थी। इस लड़ाई में नवल शाह वीरगति को प्राप्त हुए थे कहा जाता हैं कि इस लड़ाई में इतना रक्त बहा की सम्पूर्ण घाटी खून से लाल हो गई और इसलिए इसका नाम लालघाटी पड़ गया। इस तरह से भोपाल पर मोहम्मद का अधिकार हो गया था।
रानी कमलापति ने दिया बलिदान-
रानी कमलापति को जब यह दुखद समाचार मिला कि मोहम्मद ने भोपाल पर आक्रमण कर लिया हैं। उससे बचने के लिए उन्होंने अपना बलिदान देना ही उचित समझा तथा उन्होने बड़े तालाब के संकरे रास्ते को खुलवा दिया जिससे बड़े तालाब का पानी छोटे तालाब में आने लगा।रानी कमलापति ने अपनी सारी सम्पति, धान-दौलत पानी में डालकर स्वयं भी जल समाधी ले लिया और अपने प्राणो का बलिदान दे दिया। तथा अपने मान-सम्मान और अस्मिता की रक्षा करते हुए इतिहास में सदा-साद के लिए अमर हो गईं |
रानी कमलापति नीजाम शाह की सांतवी रानी थी। वो बहुत ही खूबसूरत व बहादुर थी। उनकी खूबसूरती और वीरता के बारे में एक कहावत आज भी भोपाल और आस-पास के इलाकों में कही जाती है –
ताल तो भोपाल ताल , बाकि सब तलैया ।
रानी तो कमलापति, बाकि सब रनैया
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