कोरोना की वजह से भारत की अर्थव्यवस्था चरमरा सी गयी हैं। हालहि में सरकार द्वारा पिछली तिमाही की जीडीपी आकड़े प्रस्तुत किये गये। इस तिमाही के जारी आकड़ो में भारत की जीडीपी माईनश में जाती दिखी। कोविड-19 की वजह से देश में लगने वाले लॉकडाउन ने लोगो की संक्रमण से जान बचायी हो या ना बचायी हो लेकिन जिस-तरह से लॉकडाउन की वजह से भारतीय अर्थव्यवस्था में भारी गिरावट आ गयी है और देश मंदी की तरफ बढ़ रहा है।
ये लोगो की नौकरियाँ छीन लेगी तथा लोगो की भूखमरी से जान जरूर चली जायेगी। इस वित्तीय वर्ष जारी किये गये जीडीपी के आकड़ो में पहले ही आठ में से सात तिमाहियों में गिरावट देखी जा चुकी हैं। जीडीपी के आकड़ो को जारी करने का कार्य सेंट्रल स्टैटिक्स ऑफीस द्वारा किया जाता हैं।
जीडीपी का अर्थ-
जीडीपी का अर्थ होता हैं, सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) किसी एक साल में देश में पैदा होने वाले सभी सामानो और सेवाओं के कुल मुल्य को कहते हैं।
जीडीपी का निर्धारण केवल बाजार में ही होता हैं, जो चीजे बाजार में नहीं बिकती हैं। उनपर जीडीपी लागू नहीं होता हैं।
जीडीपी के अन्दर कौन-सा घटक आता हैं -
जीडीपी के अन्तर्गत कृषि, उद्योग व सेवा तीन प्रमुख घटक आते हैं। इन्ही क्षेत्रो में उत्पादन घटने व बढ़ने पर जीडीपी के आकडें तय किये जाते हैं।
भारत में हर तीन महीने में अर्थात तिमाही में जीडीपी का आकलन किया जाता हैं। यह तिमाही अप्रैल-जून , जूलाई-सिंतबर, अक्टूबर-सिंतबर , जनवरी-मार्च हैं।
जीडीपी का कम होना क्या प्रदर्शित करता हैं -
किसी भी देश की जीडीपी का कम होना यह प्रदर्शित करता हैं, कि लोगो द्वारा उत्पादन कम किया जा रहा हैं, जिससे उनकी आय में कमी आ रही हैं। और वह अपने खर्चो में कटौती कर रहे हैं। किसी भी देश की जीडीपी का कम होना उस देश की अर्थव्यवस्था को मंदी की ओर ले जाना होता हैं। जो कि उस देश के विकास में अवरोध उत्पन्न करता हैं। तथा उस देश का भविष्य आर्थिक दृष्टि से खतरे में जा रहा हैं, यह प्रदर्शित करता हैं।
भारतीय अर्थव्यवस्था -
कोरोना की वजह से जहाँ पूरे विश्व की अर्थव्यवस्था खतरे में हैं। लेकिन कोरोना की वजह से मंदी का असर सभी देशो पर अलग-अलग पड़ रहा हैं। कोरोना के कारण मंदी में जाने वाला देश जापान था लेकिन अब हालहि में जारी किये आकड़ो के अनुसार सबसे ज्यादा मंदी तथा भारतीय अर्थव्यवस्था में भारी गिरावट देखने को मिली है।
में देखने को मिला हैं।
भारतीय अर्थव्यवस्था में आयी गिरावट -
साख्यिकी मंत्रायलय द्वारा के 2020-2021 के प्रस्तुत किये गये आकड़ो में 23.9 प्रतिशत की गिरावट देखी गयी हैं। यह आकडें अप्रैल से जून तक के बीच के हैं।
यह आकड़ा अभी पहली तिमाही का ही हैं। लेकिन इतनी गिरावट के बाद यहा ही कहा जा सकता हैं। आगे के आकडे भी नकारात्मक ही रहेगे।
इससे पहले कब आयी थी गिरावट -
इससे पहले 1979-1980 के बीच वित्त-वर्ष में नकारात्मक प्रभाव देखा गया था। तब भी ग्रोथ रेट -5.2 तक रही थी।
अगर हम बात करे तो आजादी के बाद 1957-1958 में जीडीपी ग्रोथ रेट -1.2 प्रतिशत देखी गयी थी। इसके बाद 1965-66 में -3.7 प्रतिशत तथा 1972-73 में -0.3 प्रतिशत रही थी।
लेकिन इस समय जो भारतीय अर्थव्यवस्था में कमी आयी हैं, वो काफी चिन्ताजनक हैं। क्योकि इसका प्रभाव काफी बुरा पड़ने वाला हैं। उस समय केवल भारत की अर्थव्यवस्था में कमी आयी थी। लेकिन इस बार पूरे विश्व की अर्थव्यवस्था में मंदी आयी हैं।
क्या होगा इसका असर -
भारत की अर्थव्यवस्था में आयी गिरावट से देश मन्दी की कगार पर आ चुका हैं। इसका असर भारत के व्यापार और निवेश पर पड़ेगा। जिसकी वजह से भविष्य में काफी लोगो की नौकरियाँ जा सकती हैं। तथा उत्पादन में भी मंदी आ सकती हैं।
अगर आगे भी ऐसे ही नकारात्मक प्रभाव देखने को मिला तो देश में भारी मंदी आ जायेगी। तथा इससे पहले ये अवस्था 1930 में देखने को मिली थी। तथा देश भुखमरी की कागार पर आ जायेगा।
किस-किस सेक्टर पर इसका सबसे ज्यादा असर पड़ा हैं -
साख्यिकि विभाग द्वारा जारी किये जीडीपी के आकड़ो से सबसे ज्यादा गिरावट कंस्ट्रक्शन सेक्टर के ग्रोथ में -51.4 प्रतिशत गिरावट ट्रांसपोर्ट के क्षेत्र में -47.4 प्रतिशत की गिरावट तथा माइंनिग सेक्टर में -41.3 प्रतिशत की गिरावट, मैन्यूफेक्चरिंग सेक्टर में -39.3 प्रतिशत गिरावट सर्विस सेक्टर में -20.6 प्रतिशत की गिरावट देखी गयी हैं।
2018-2019 में भी जीडीपी ग्रोथ रेट में गिरावट -
सरकार को कोरोना को अर्थव्यवस्था में गिरावट को जिम्मेदार नहीं ठहराना चाहिए। क्योकि पिछले कुछ वर्षो से भारत की जीडीपी ग्रोथ रेट में गिरावट आ चुकी हैं। 2018-19 में 6.1 प्रतिशत, 2019-2020 में 4.2 प्रतिशत रही थी। इसलिए अगर सरकार द्वारा कोरोना को भारतीय अर्थव्यवस्था में गिरावट को जिम्मेदार ठहराया जाये तो यह गलत होगा। पहले से ही जीपीडी ग्रोथ रेट कम थी कोरोना की वजह से और ज्यादा गिरावट आ गयी।
कोरोना का विश्व के देशो पर जीडीपी का प्रभाव -
Sr. No. | देश | जीडीपी रेट |
1 | चीन | -3.2 प्रतिशत |
2 | जापान | -7.6 प्रतिशत |
3 | अमेरिका | -9.6 प्रतिशत |
4 | जर्मनी | -0.10 प्रतिशत |
5 | कनाडा | -12.0 प्रतिशत |
6 | इटली | -12.4 प्रतिशत |
7 | फ्रांस | -13.8 प्रतिशत |
8 | यू.के. | -20.4 प्रतिशत |
9 | भारत | -23.9 प्रतिशत |
- भारत की जीएसटी काउंसलिंग की बैठक में वित्त मंत्रालय के तरफ से भी यह कहा जा चुका हैं, कि सरकार के पास अब इतना पैसा नहीं हैं, की वो राज्यो को जीएसटी हानि का भुगतान कर सके।
- अगर ऐसे ही अर्थव्यस्था में गिरावट आती रही तो बैंको का एनपीए भी बड़ जायेगा तथा बैकें भी कर्ज में डूब जायेंगी।
क्या करना चाहिए सरकार को -
- सरकार को प्रशासनिक खर्चो में कमी करनी चाहिए। सरकार द्वारा 2008-09 में कर्मचारियों पर कुल 67,463 करोड़ रूपये से खर्च बढ़ाकर 187 फीसदी कर दिया गया हैं।
- सरकार ने यदि अभी कुछ नहीं किया तो आगे कुछ नहीं कर पायेगी क्योकि वक्त बहुत मायने रखता हैं। सरकार ने यदि अर्थव्यस्था में आयी मंदी व महामरी पर ध्यान नहीं दिया तो काफी देर हो जायेगी। जीडीपी की ग्रोथ रेट में कमी आने के लिए सरकार को कोरोना को जिम्मेदार ठहरा कर शान्त बैठकर देश को भूखमरी के कगार पर नहीं ले जाना चाहिए।
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