Thursday, September 21, 2023
Delhi
haze
29.1 ° C
29.1 °
29.1 °
74 %
1.5kmh
75 %
Thu
32 °
Fri
37 °
Sat
35 °
Sun
36 °
Mon
36 °

कंकालो की झील के नाम से प्रसिद्ध रूपकुंड झील का क्या हैं रहस्य

आपको जानकर हैरानी होगी की भारत के उत्तराखण्ड में एक ऐसी झील मिली हैं। जो दिखने में तो बहुत सुन्दर हैं। लेकिन वो जितनी सुन्दर दिखने में लगती हैं। उसका रहस्य उतना ही भयावह हैं। साल में 6 महीने तक ये झील  बर्फ से ढ़की रहती हैं। रूपकुंड झील को लोग कंकालों की झील भी कहते हैं। आइये जानते हैं, कंकालो के नाम से प्रसिद्ध रूपकुंड झील का क्या हैं रहस्य।

आजतक यहाँ निकल चुके हैं, 500 से भी ज्यादा नर कंकाल। इन नर-कंकालों के मिलने की वजह से ही ये झील इतनी प्रसिद्ध हैं। कि देश-विदेश से वैज्ञानिक यहाँ रिसर्च करने आते हैं। लेकिन आजतक कोई इसका रहस्य नहीं पता कर पाया। कि क्यों निकले हैं, यहाँ इतनी बडी मात्रा में नरकंकाल। चलिये हम आपको बताते हैं कहाँ है। ये नर कंकालो वाली झील और क्या हैं इस झील का रहस्य।

कहाँ पर हैं रूपकुंड झील -

​भारत में बहुत-से ऐसे रहस्य हैं। जिनका पता आज तक कोई नहीं लगा पाया हैं। ऐसा ही एक रहस्य हें। उत्तराखण्ड में मिले एक झील जिसे कंकालो का झील भी कहा जाता हैं। खबरो की माने तो यहाँ आजतक 500 से भी अधिक नर कंकाल देखने को मिल चुके हैं। रूपकुंड झील भारत के उत्तराखण्ड के चमोली जिले में स्थित हैं। ये प्रसिद्ध नन्दादेवी राजरात मार्ग पर नंदाघुंघटी औऱ त्रिशूली जैसे विशाल पर्वतो के बीच बसी हैं।

ये 12 मीटर लंबी, 10 मीटर चौड़ी तथा 2 मीटर गहरी हैं। रूपकुंड झील का आकार अंडाकार आकृति का बना हुआ हैं। यहाँ पर कोई भी इंसान नहीं रहता हैं। रूपकुंड झील बर्फ से बनी एक झील हैं। जो कि हिमालय से लगभग 16499 फीट की उचाँई पर जाने पर मिलती हैं।

कंकालो की झील के नाम से प्रसिद्ध रूपकुंड झील का क्या हैं रहस्य

कंकालो की झील के नाम से प्रसिद्ध रूपकुंड झील का क्या हैं रहस्य

कब हुई थी रूपकुंड झील की खोज -

​उत्तराखंड में मिले रूपकुंड झील के बारे में बताया जाता हैं। कि रूपकुंड झील की खोज नंदा देवी शिकार आरक्षण रेंजर एच.के. माधवल ने 1942 में इसकी खोज की थी। उन्होंने बताया कि वो यहाँ जड़ी-बूटियों की खोज में आये थे। जब वो जड़ी-बूटी की खोज कर रहे थे।

तब उनका पैर किसी चीज से जाकर टकरा गया। उसके बाद जब इस झील की खोज की गई थी। तो उस झील में उनको बड़ी मात्रा में नर कंकाल मिले। जिसको देखकर लोग आश्यर्च चकित हो गयें। इस झील में मिले नर कंकालो के बारे में पता लगाने के लिए देश-विदेश से वैज्ञानिक आते है।

क्या कहा वैज्ञानिकों ने अपनी रिसर्च में -

1942 में जब रूपकुडं झील की खोज की गयी थी। वहाँ भारी मात्रा में मिले नर कंकालो ने सबको आश्चर्य में डाल दिया था। जिसकी वजह से वहाँ देश-विदेश से वैज्ञानिक रिसर्च करने आये। उन्होंने रिर्सच में बताया कि ये नर कंकाल 19वीं शताब्दी के लगते हैं। उन्होने उन नर कंकालो का डीएनए भी किया। जिसमें पता चला कि वहाँ पर मिलने वाले नर कंकाल जिन भी लोगो का हैं। 

उनकी किसी भारी तूफान के चपेट में आने की वजह से मौत हो गयी थी। अमेरिकी वैज्ञानिको की माने तो यहाँ पर मिलने वाले ऊन से बने बूट, लकडी के बने बतर्न और यार्क भी मिले जिनका इस्तेमाल तिब्बती लोग करते हैं। उनका कहना हैं, ये तिब्बती लोगो के नर कंकाल हैं।  

क्यों कहते हैं रूपकुंड झील को रहस्यमयी झील -

उत्तराखंड में मिली रूपकुंड झील का रहस्य बहुत ही आश्चर्य चकित करने वाला हैं। लोगो का मानना हैं। कि रूपकुंड झील जिसका पानी हरे-नीले रंग का हैं। वो वर्ष में 6 महीने तक बर्फ से ढकी रहती हैं। जब इसका बर्फ पिघलता हैं। तो रूपकुंड झील दिखायी देती हैं। इस झील का नाम इसलिए रूपकुंड झील पड़ा हैं। क्योकि यहाँ से ही रूप गंगा की धारा प्रवाहित होती हैं।

ये झील इसलिए रहस्यमयी बन चुकी हैं। क्योकि इस झील के किनारे बड़ी संख्या में मिले नर कंकाल, कपडें, बर्तन, गहने और कई तरह की ऐसी चीजें जिनका उपयोग हम आम जिंदगी में करते हैं। रूपकुंड झील में दूर-दूर से भक्त लोग 12 साल में एक बार होने वाली नन्दादेवी की रथयात्रा में शामिल होने आते हैं। यहाँ पर नन्दा देवी की पूजा होती हैं।

क्या हैं इस रूपकुंड झील का रहस्य -

​उत्तराखण्ड में स्थित इस रहस्यमयी झील जिसका नाम रूपकुंड झील हैं। इसमें मिलने वाले नरकंकाल और रोजमर्रा की चीजों ने इसे रहस्यमयी बना दिया हैं। कई लोगो का मानना हैं, कि ये नर कंकाल किसी राजा के सेना के हैं। लोगो के अपने-अपने अलग-अलग मत हैं। लेकिन रिसर्च के लिए गये वैज्ञानिको का कहना हैं कि ये नर कंकाल 9 वीं शताब्दी में यहाँ पर रहने वाले आदिवासियों के हैं। उनका मानना हैं कि यहाँ पर भारी मात्रा में बर्फ गिरने की वजह से उनकी मौत हो गयी थी। क्योकि उनके सर पर ऐसे चोट के निशान हैं। जैसे उनपर किसी ने बॉल से हमला किया हो। लेकिन अब इस रहस्य से पर्दा उठ चुका है।

​इस झील से जुड़े कुछ अन्य शोध -

​शोध करने आये वैज्ञानिकों ने बताया की ये नर कंकाल 800 ईसा पूर्व के हैं। ये नर-कंकाल यहाँ आये श्रद्धालुओं तथा वहाँ पर रहने वाले लोगो के हैं। और ये भी बताया गया कि कंकाल दो तरह के लोगो का हैं। जिनमें से कुछ लोगो की हाइट कम हैं। तो कुछ लोगो की ज्यादा। बहुत लोगो का मानना हैं। कि ये लोग किसी संक्रामक का शिकार हो गये थे। या इन लोगो ने यहाँ आत्महत्या कर ली थी। यहाँ लांबा स्त्रियों द्वारा पहनने वाले गहने भी मिले।

​स्थानीय लोगो की मान्यता -

यहाँ पर रहने वाले स्थानीय लोगो का कहना हैं। कि यहाँ पर एक जसधावल नाम का एक राजा था। जो नंदादेवी के दर्शन के लिए भारी मात्रा में सैनिक और परिवार के लोगो के साथ आया था। वहाँ के पुजारियों ने उसे इतने शोर-सराबे और दिखावे के साथ नंदादेवी के दर्शन के लिए जाने को मना किया। लेकिन वो नहीं माना जिसकी वजह से देवी माँ क्रोधित हो गयी। और उन लोगो को उनके क्रोध का शिकार होना पड़ा।

आजतक रूपकुंड झील को लेकर बहुत सारे रिसर्ज और खोज हुए हैं। सबने अलग-अगल तरह की बाते की लेकिन आज तक इसके रहस्य से पूर्ण तरह से पर्दा कोई भी नहीँ उठा पाया हैं। कि आखिर ये नर-कंकाल किसके हैं।

ऐसे ही देश दुनिया तथा मनोरंजन जगत से जुड़ी ताजा खबरो की जानकारी के लिए हमारे साथ आईये और फालो कीजिए हमारे  फेसबुक   पेज को और जुड़े रहिये हमारे जागरूक हिंदुस्तान साइट से।

Related Articles

1 COMMENT

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Stay Connected

3,650FansLike
8,596FollowersFollow

Latest Articles