Janmashtami / Sri Krishna Death Place/ Sri Krishna Janmashtami / Sri Krishna Death Year/ Sri Krishna Death Reason/ महाभारत का युद्ध खत्म होने के बाद गंधारी जब भगवान कृष्ण गांधारी से मिलने गए तो वो पुत्र शोक में दुखी थीं। उन्हें लगता था कि अगर कृष्ण चाहते तो ये सब रुक सकता था और उनके पुत्र जीवित रहते। गुस्से में उन्होने श्रीकृष्ण को श्राप दे दिया था। जिसकी वजह से इस स्थान पर त्यागे भगवान ने अपने प्राण
कैसे हुई थी श्रीकृष्ण की मृत्यु-
महाभारत के खत्म होने के बाद धृतराष्ट्र का वंश खत्म हो चुका था। उनके सभी 100 पुत्र महाभारत के युद्ध में मारे गए थे। जिसके बाद श्रीकृष्ण गांधारी से मिलने पहुँचे। शोक में डूबी गांधारी ने जब कृष्ण को सामने देखा तो वह नाराज हो गयी। और श्राप दे दिया कि जिस तरह मेरे पुत्र नहीं रहे उसी तरह तुम्हारे वंश का भी नाश हो जाएगा।
कुछ दिनो बाद ही श्राप का असर दिखने लगा-
कुछ दिनो बाद ही गांधारी के श्राप का असर दिखाई देने लगा था। यदुवंशी आपस में लड़ने लगे थे। एक दूसरे की जान लेने लगे। भगवान कृष्ण पर भी इस श्राप का असर पड़ने लगा। युद्ध के 36 साल बाद वो द्वारिका से दूर एक वन में चले गए थे। वहां वो जब एक पेड़ के नीचे आराम कर रहे थे।
Sri Krishna Death Story (श्री कृष्ण की मृत्यु का रहस्य)-
कृष्ण अकेले ही थे। कि तभी एक शिकारी ने उन्हें हिरण समझकर उन पर तीर चला दिया। शिकारी जब वहां पहुंचा और कृष्ण को तीर लगा देख पश्चाताप करने लगा तो कृष्ण ने कहा- कि इस घटना में तुम्हारी किसी प्रकार की कोई गलती नहीं हैं। त्रेतायुग में मैं राम था और तुम बाली थे। तब मेरे कारण तुम्हारी जान गई थी। उसी वजह से तुमने मुझे तीर मारा हैं। जिससे मेरी मृत्यु होगी। ये कहते हुए कृष्ण ने अपने प्राण त्याग दिए। उनकी मृत्यु का दिन ईसापूर्व 17 फरवरी 3102 (Sri Krishan Death Year)बताया जाता है।
Sri Krishna Death Place (श्री कृष्ण की मृत्यु का स्थान)-
ये जगह तब एक वन थी। लेकिन बाद में श्री कृष्ण के प्राण त्यागने वाली जगह के नाम से इसे जाना जाने लगा।इस जगह का नाम भालका तीर्थ है। ये जगह सौराष्ट्र के वेरावल में स्थित हैं। जो गुजरात में पश्चिमी समुद्र तट पर है।

जिसने भगवान श्रीकृष्ण को मारा उसका नाम क्या था-
जिस जगह पर भगवान कृष्ण ने अपने प्राण त्यागे थे। वहां भालका तीर्थ नाम से एक मंदिर बनाया गया है। इस मंदिर के पीछे भी एक कहानी हैं। बताया जाता हैं, कि जिस जारा नाम के शिकारी के तीर ने उनके प्राण लिए थे। वो शिकारी यही पर भगवान श्रीकृष्ण की आराधना करने लगा था। इस जगह पर ज्यादा भीड़-भाड़ तो नहीं होती हैं। क्योकि इस जगह के बारे में बहुत कम ही लोग जानते हैं।