भारत में बेरोजगारी के खिलाफ इस समय युवाओं द्वारा काफी प्रदर्शन किये जा रहे हैं। इस समय भारत में अर्थव्यवस्था और बेरोजगारी दो मुख्य मुद्दे बने हुए हैं। बेरोजगारी और सरकारी नौकरी के खिलाफ युवाओं द्वारा भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के जन्मदिन 17 सितम्बर को बेरोजगारी दिवस के रूप में मनाया गया। लेकिन लोगो के मन में यही सवाल हैं, कि सरकार किस तरह से बेरोजगारी पर नियंत्रण पा सकती हैं। क्या सरकार के पास बेरोजगारी खत्म करने के कोई उपाय हैं। चलिए आज हम आपको बताते हैं, भारत में कैसे बेरोजगारी पर नियंत्रण पाया जा सकता हैं। भारत बेरोजगारी में सर्वश्रेष्ठ
विस्तार-
भारत में इस समय युवाओ द्वारा लगातार सरकार के खिलाफ बेरोजगारी को लेकर प्रदर्शन किये जा रहे हैं। जिसके लिए छात्रो ने ताली-थाली पीटकर तथा दिये जलाकर भी सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किये। एक तो इस भारत में अर्थव्यवस्था की हालात काफी गम्भीर बने हुए हैं। और ऊपर से बेरोजगारी ने और मुसीबत बड़ा दी हैं। भारत में पिछले सालो के मुताबिक इस साल बेरोगारी का स्तर बीते 45 सालो में सबसे ज्यादा नीचे गिरता हुआ दिख रहा हैं।
ऊपर से कोरोना वजह से अर्थव्यवस्था और रोजगार में काफी ज्यादा गिरावट देखने को मिली हैं। आकड़ो की माने तो इस साल 75 प्रतिशत लोगो को अपनी नौकरी गवानी पड़ी। जिसमें लॉकडाउन की वजह से कई सारे मजदूर अपने-अपने गाँव को पलायन कर गये थे। जिसकी वजह से रोजगार में और ज्यादा गिरावट देखने को मिली हैं।
कोरोना से पहले भी रोजगार का स्तर गिरता जा रहा था।
भारत में रोजगार में गिरावट के कारण-
भारत में रोजगारी का स्तर पहले से ही काफी घटता जा रहा हैं। कोरोना को इसका जिम्मेदार ठहरा देना सही नहीं होगा। कोरोना आने से पहले ही भारत में रोजगार स्तर में गिरावट देखी जा रही हैं।
भारत में बेरोजगारी का स्तर इतना गिर जाने का मुख्य कारण नोटबंदी और जीएसटी हैं।
भारत सरकार द्वारा बेरोजगारी को काबू में लाने के लिए कई सारे एलान किये गये तथा कई सारी स्किमे भी चलायी गयी। जिसके बाद भी बेरोगारी का स्तर गिरता हुआ ही नजर आया तथा सरकार के वादे खोखले होते नजर आये।
क्यो युवा द्वारा इसका विरोध किया जा रहा-
युवाओं द्वारा बेरोगारी को लेकर आये दिन इसलिए भी प्रर्दशन किया जा रहा हैं। क्योकि लोगो को रोजगार मिलने के बजाये उनकी नौकरियों में दिन-प्रतिदिन कटौती होते हुई दिखी हैं।
आजतक जितनी भी एंजसियों द्वारा आकड़े घोषित किये चाहे वो सरकारी हो या गैर-सरकारी दोनो में बेरोजगारी में भारी मात्रा में बढ़ोत्तरी को दर्शाया गया हैं। इन्ही को लेकर भारत का युवा-वर्ग अपने भविष्य को लेकर परेशान हैं।
भारत में क्या हैं, बेरोजगारी के हालात-
बहुत समय बाद देश का युवा की बातो को केन्द्र सरकार की नजर में आयी हैं। नेशनल सैंपल सर्वे ऑफिस द्वारा जारी किये गये आकड़ो के हिसाब से 2011-2012 में अर्थव्यवस्था में श्रमिकों की कुल संख्या 472.5 मिलियन थी तो वही 2017-2018 में श्रमिको की संख्या गिरकर 457 मिलियन हो गयी हैं।
यह कमी पिछले 6 वर्षों में 37 मिलियन कमी आयी हैं।युवको और युवतियों द्वारा भारी मात्रा में कृषि कार्य ना करने की वजह से भी इसमें कमी आयी हैं।
तथा कई जाँच ऐंजसियों की माने तो कोरोना की वजह से भारत में करोड़ो की संख्या में लोगो को नौकरियों से हाथ धोना पड़ सकता हैं।
क्या कहना हैं अर्थशास्त्रियो-
अर्थशास्त्रियों के हिसाब से किसी भी देश के लिए बेरोजगारी दर में 4 फीसदी से ज्यादा कमी सही नहीं हैं। भारत में पिछले तीन सालो में कम से कम 83 मिलियन नौकरियों की जरूरत थी। लेकिन ऐसा हुआ नहीं भारत सरकार द्वारा जनसंख्या वृद्धि को इसका कारण बता दिया जाता हैं। और अपनी कमी को छुपाने की कोशिश की जाती हैं। जबकि वही भारत से ज्यादा जनसंख्या वाला चीन जिसमें बेरोजगारी दर हमेशा 4 फीसदी ही रहती हैं। कभी इससे आगे नहीं बढती हैं।
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