UP Election 2022; उत्तर प्रदेश में एक बार फिर से सियासत ने तेजी पकड़ ली हैं, इसकी मुख्य वजह 2022 में आने वाले चुनाव हैं, यूपी में एक बार फिर से सभी पार्टियाँ ब्राह्मणो के लिए अपना-अपना प्यार दिखाने में जुट गयी हैं तथा ब्राह्मण वोटर्स को अपनी तरफ लुभाने के लिए हर एक जरूरी कदम उठा रही हैं।
विस्तार-
उत्तर प्रदेश में 2022 में आने वाले Election को लेकर हर एक पार्टी ने अपनी-अपनी कमर कस ली हैं, जहाँ सारी पार्टियाँ मिलकर इस बार उत्तरप्रदेश में भाजपा सरकार को हराने की पुरजोर कोशिश कर रही हैं। इसी बीच बसपा,सपा, काग्रेंस व अन्य पार्टियो ने इस समय उत्तर प्रदेश के चुनाव में ब्राह्मण वाद का मुद्दा उठाया हैं।
वैसे तो उत्तर प्रदेश में एक लम्बे समय से कोई भी ब्राह्मण मुख्यमंत्री नहीं बन पाया हैं। और जबसे यूपी में विकास दूबे का कांड हुआ हैं, तबसे अन्य पार्टियाँ योगी सरकार को हर तरफ से घेरने की कोशिश कर रहीं। और अपने आप को ब्राह्मणो का हितैशी साबित करने में जुट गयी हैं।
उत्तर प्रदेश में 1989 से अभी तक किसी ब्राह्मण नेता की सरकार नहीं आयी हैंं। और आने वाले समय में भी कोई नजर नहीं आ रहा हैं, यही कारण हैं, कि अन्य पार्टियाँ अपने तरफ ब्राह्मण वोटर्स को लुभाने में जुट चुकी हैं।
क्यो गरमाया ब्राह्मणो पर सियासत-
आकड़ो की माने तो उत्तरप्रदेश में ब्रह्मणो की संख्या 11 से 13 फीसदी तक हैं, अभी तक उत्तर प्रदेश में कुल 6 ब्राह्मण मुख्यमंत्री का पद धारण कर चुके हैं। एक समय था जब उत्तरप्रदेश की कमान ब्राह्मणो के हाथ में ही रही हैं, लेकिन 1989 के बाद से अचानक से ये खत्म हो गया, और कमान अन्य नेताओ के पास चला गया, ब्राह्मणो का यूपी में आखिरी नेता नारायण दत्त तिवारी थे।
जबसे यूपी में विकास दुबे का कांड हुआ हैं, तबसे बसपा, सपा, काग्रेंस ब्राह्मणो को अपनी तरफ लुभाने के लिए नये-नये तरीके अपना रहे हैं, जहाँ हर समय बसपा सुप्रिमो मायावती ट्वीटर पर ब्राह्मण मुद्दा उठाती है, तो वही उनकी पार्टी के सतीश मिश्रा रैलियो में दलित व ब्राह्मण को एकजुट होने की अपील करते हैं।
सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव भगवान परशुराम की मुर्ती बनाने व पोस्टर संग तस्वीरे साझा करते हुए नजर आते हैं, तो वहीं काग्रेंस की तरफ से प्रियंका गाँधी मंदिर जाती हुई नजर आती हैं।
UP में 2022 का Election नजदीक आते हुए देश सभी पार्टियाँ जाति के नाम पर राजनिती करना शुरू कर चुकी हैं। जातिवाद या ब्राह्मण वाद का आने वाले चुनाव में कितना असर पड़ेगा ये तो 2022 में ही पता चलेगा।
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