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SC/ST Act: एसी/ एसटी एक्ट क्या हैं, जिसके चलते माँ संग 6 साल के बच्चे को जानी पड़ी जेल

SC/ST Act 1989 / एसी/एसटी एक्ट के तहत उत्तराखंड से एक मामला सामने आ रहा हैं। जिसमें माँ के साथ-साथ 6 साल के बच्चे को भी एसी/एसटी एक्ट के तहत 6 साल के बच्चे को भी जेल जाना पड़ा। थाना मुनिकीरेती में भूमि विवाद मामले में पुलिस ने आरोपी महिला के खिलाफ फाइनल रिपोर्ट लगाकर कोर्ट में पेश किया हैं। जिसके बाद पर्याप्त सबूत मिलने के बाद 6 जनवरी को जेल भेज  दिया गया हैं। 

उत्तराखंड में एसी/एसटी एक्ट के तहत माँ संग मासूम को जेल-

थाना मुनिकीरेती में भूमि विवाद मामले में पुलिस ने आरोपी महिला के खिलाफ फाइनल रिपोर्ट लगाकर पेश किया। जिसके बाद आरोपी महिला ने इसे साजिश करार देते हुए बरी की गुहार लगाई थी। 6 जनवरी को जिला जज योगेश कुमार गुप्ता ने मामले में सुनवाई करते हुए कहा कि आरोपी के खिलाफ चार्जशीट में पर्याप्त सबूत मिलने के बाद आरोपी महिला ने जमानत प्रार्थना पत्र दाखिल नहीं किया। जिसके बाद कोर्ट ने उसे जेल भेज दिया गया।  अगली सुनवाई 9 जनवरी को होगी। 

What is SC/ST Act (एसी/एसटी एक्ट क्या हैं)-

अनुसूचित जाति एवंम् अनूसूचित जनजाति पर हो रहे प्रताड़ना को रोकने के लिए एक कानून बनाया गया था। जिसे एसी/एसटी एक्ट कहा गया। संसद ने 1989 में अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 पारित किया गया। जिसपर राष्ट्रपति ने 30 जनवरी 1990 को इस पर मुहर लगाई और ये कानून लागू हो गया। (एसी/एक्ट कब लगता हैं)

एससी/एसटी एक्ट को हिन्दी में [अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) कानून] कहा जाता हैं। तो वहीं अंग्रेजी में इसे Scheduled Caste and Scheduled Tribe (Prevention of Atrocities) Act कहा जाता हैं। इसमें कुल 5 अध्याय व 23 धराऐं हैं। 

2018 में हुआ संसोधन-

अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 है। इसमें 2018 में संशोधन हो चुका हैं। 

सुप्रीम कोर्ट की राय-

सुप्रीम कोर्ट ने एसी/एसटी एक्ट 2018 में कहा कि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) कानून बहुत लचीला है। जिसकी वजह से लोगो द्वारा इसे हथियार बना लिया जा रहा हैं। वो किसी भी दूसरे वर्ग/जाति के व्यक्ति पर प्रताड़ना का आरोप लगा देता है और कथित तौर पर आरोपी को मुश्किलों का सामना करना पड़  जाता हैं। जिसके  तहत सुप्रीम कोर्ट ने एसटी/एक्ट पर दिशा निर्देश दिया हैं।

 जस्टिस एके गोयल और यूयू ललित की बेंच ने कहा था कि सात दिनों के भीतर शुरुआती जांच ज़रूर पूरी होनी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा था कि इस तरह के मामलों में तुरंत गिरफ़्तारी की जगह शुरुआती जांच ज्यादा जरूरी हैं। 

एसी/एसटी एक्ट के तहत कितने साल की सजा  का प्रावधान है-

हरिजन एक्ट कानून के अनुसार यदि किसी हरिजन व्यक्ति के अधिकारों का हनन करता है तो वह कम से कम 6 महीने और ज्यादा से ज्यादा 7 साल तक कारावास की सजा का प्रावधान हैं। 

हरिजन एक्ट में कितना पैसा मिलता  हैं-

इस एक्ट के तहत दोषी सिद्ध होने पर  पीड़ित को केस की ग्रेवेटी के हिसाब से 40000 हजार रुपए से लेकर 5 लाख रुपए तक देने पड़ सकते  हैं। (हरिजन एक्ट सहायता राशि 2023)

एससी-एसटी एक्ट से बचने के उपाय-

हाई कोर्ट में धारा 226 के तहत arrest stay के लिए याचिका दायर कर सकते है। जिसमे आप अपने निर्दोष होने से संबंधित सभी सबूत लगा कर माननीय कोर्ट से ये अपील कर सकते है कि आपकी गिरफ्तारी पर रोक लगा दी जाए। यदि कोर्ट को प्रथम दृष्टया यह विश्वास हो जाये कि आप पर दर्ज sc/st मुकदमा सही नही है तो बेल मिल जाएगी। (हरिजन एक्ट के तहत बचने के उपाय)

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